(भोपाल) 71 साल का इतिहास कांग्रेस ने किया प्रदेश में 40 साल राज

  • 29-Oct-23 12:00 AM

भोपाल,29 अक्टूबर (आरएनएस)। 1952 से अब तक 15 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। 71 साल में 40 साल कांग्रेस का शासन रहा और भाजपा करीब 21 वर्षों से शासन में रही। 1977 से 1980 के बीच तीन साल तक जनता पार्टी का शासन रहा। वक्त के साथ सत्ता बदलती रही। जब कभी भी वोटिंग की बारी आई तो मध्यप्रदेश की जनता ने सत्ता में आने वाली पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया। 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस सत्ता में आई और उसे 232 सीटों पर जीत मिली। तब कांग्रेस को 49 फीसदी और विपक्षी किसान मजदूर प्रजा पार्टी (केएमपीपी) को सिर्फ पांच फीसदी वोट मिले। केएमपीपी को आठ और सोशलिस्ट पार्टी को दो सीटें मिलीं। 1962 के विधानसभा चुनाव में सीटों की संख्या परिसीमन के बाद 288 हो गई। इस चुनाव में भी कांग्रेस की एकतरफा जीत मिली। इस चुनाव में कांग्रेस को 142 और जनसंघ को 78 सीटें मिली यानी सत्ता में रहने वाली पार्टी को पूर्ण बहुमत ही मिला। आपातकाल के बाद पूरे देश में कांग्रेस विरोधी लहर चल पड़ी। कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी के विपक्षी दलों ने एकजुट होकर जनता पार्टी बनाई। जनसंघ, सोशलिस्ट पार्टी समेत कई पार्टियों का जनता पार्टी में विलय हुआ। 1977 के मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सत्ता से पहली बार बहार हुई। जनता पार्टी को 230 सीटों पर जीत मिली और कैलाश जोशी सीएम बने। कांग्रेस को 84 सीटों से संतोष करना पड़ा। जल्द ही दोहरी सदस्यता के मुद्दे पर जनता पार्टी में फूट पड़ गई। केंद्र की मोरारजी भाई देसाई की सरकार गिरने के बाद राज्यों में जनता पार्अी की सत्ता डगमगाने लगी। 1980 में मध्यावधि चुनाव हुए तो कांग्रेस 246 सीटों के साथ पूर्ण बहमत से सत्ता में लौटी। जनसंघ से नाम बदलने के बाद भारतीय जनता पार्टी को 60 सीटें मिलीं। मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह ने झोंपड़ल वालों को मुफ्त जमीन का पट्टा दिया। साथ में घरों में मुफ्त बिजली कनेक्शन बांटे। 1985 में यह फार्मूला काम कर गया और कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। विपक्ष में बैठी भाजपा 60 सीटों पर सिमट गई। अनिल पुरोहित




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