(भोपाल)12 अक्टूबर को अंबेडकर पार्क में आउटसोर्स समेत आठ संगठन एकसाथ करेंगे बड़ा आंदोलन
- 10-Oct-25 12:00 AM
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भोपाल ,10 अक्टूबर (आरएनएस)। राजधानी भोपाल में आउटसोर्स कर्मचारियों समेत आठ संगठन मिलकर में एक बड़ा आंदोलन करेंगे। यह संगठन लंबे समय से नियमित और न्यूनतम मासिक वेतन की मांग कर रहे हैं। इसी कड़ी में 12 अक्टूबर को तुलसी नगर स्थित भीमराव अंबेडकर पार्क में राज्यस्तरीय प्रदर्शन होगा।कर्मचारी संगठनों के द्वारा सभी अस्थायी, आउटसोर्स, अंशकालीन और संविदा कर्मचारियों को तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के रिक्त पदों की मांग की गई है। ऐसे ही वेतन नीति को तत्काल लागू किया जाए या न्यूनतम 21,000 रुपए मासिक वेतन दिया जाए, नौकरियों में ठेका और कांन्ट्रैक्टुअल बेस को पूरी तरह से समाप्त किया जाए। बैंक मित्रों को बैंक से जोड़कर नियमित वेतन और राजस्व सर्वेयर के लिए मासिक वेतनमान तय करके नियमित रोजगार की व्यवस्था की जाए।जानकारी के अनुसार, आल डिपार्टमेंट आउटसोर्स, अस्थायी, अंशकालीन, ग्राम पंचायत कर्मचारी संयुक्त मोर्चा मध्यप्रदेश पिछले दो वर्षों से इस प्रदर्शन की अनुमति मांग रहा था। अब जाकर भोपाल पुलिस ने आंदोलन की अनुमति दी है। इससे पहले इस तरह की अनुमति वर्ष 2023 में दी गई थी।मोर्चा के अध्यक्ष वासुदेव शर्मा ने कहा कि यह आंदोलन किसी एक वर्ग का नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के उन कर्मचारियों की साझा आवाज है जो सालों से आर्थिक अन्याय और अस्थिरता झेल रहे हैं। उन्होंने कहा सरकार को यह समझना होगा कि कर्मचारियों की मेहनत और निष्ठा का सम्मान ही सुशासन की पहचान है।मोर्चा के अध्यक्ष शर्मा के साथ आंदोलन में प्रदेशभर से हजारों कर्मचारी शामिल होंगे। मोर्चा का कहना है कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक राज्य सरकार कर्मचारियों की मांगों पर ठोस निर्णय नहीं लेती।शर्मा ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने 19 अगस्त 2025 के फैसले में सिविल अपील क्रमांक 8558/2018 में कहा है कि लंबे समय से कार्यरत अस्थायी, संविदा व आउटसोर्स कर्मियों से कम वेतन पर नियमित कार्य लेना श्रमिक शोषण है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया कि समान कार्य करने वाले कर्मियों को समान वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा लाभ मिलना उनका संवैधानिक अधिकार है।यह निर्णय प्रदेश के लाखों कर्मचारियों के लिए आशा की नई किरण बनकर आया है। अब हम केवल वादे नहीं, अपने अधिकार की गारंटी चाहते हैं। 12 अक्टूबर का महाक्रांति आंदोलन न्याय, समानता और सम्मान की दिशा में निर्णायक कदम होगा।शर्मा ने कहा कि मध्यप्रदेश में पिछले 20 वर्षों से तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की नियमित भर्तियां लगभग बंद हैं। विभागीय कार्य इन्हीं अस्थायी और आउटसोर्स कर्मियों से कराया जा रहा है जिन्हें न तो सम्मानजनक वेतन मिलता है और न भविष्य की सुरक्षा दी जा रही है। यह स्थिति संवैधानिक मूल्यों और श्रम कानूनों की खुली अवहेलना है।
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