(भोपाल)8 और 10 अगस्त को विदेशी कंपनियों के लिए भारत छोड़ो दिवस मनाएगा स्वदेशी जागरण मंच
- 04-Aug-25 12:00 AM
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भोपाल 4 अगस्त (आरएनएस)। स्वदेशी जागरण मंच 8 और 10 अगस्त को विदेशी कंपनियों के लिए भारत छोड़ो दिवस मनाएगा। विदेशी वस्तुओं की होली इस दिन जलाई जाएगी। इसके साथ ही देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए 21 सितंबर विश्व उद्यमिता दिवस से 21 अक्टूबर तक उद्यमिता प्रोत्साहन सम्मेलन किया जाएगा।यह बातें स्वदेशी जागरण मंच के अखिल भारतीय संघटक कश्मीरी लाल ने मीडिया से चर्चा में कहीं। उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा स्वदेशी को ही आर्थिक समृद्धि का एकमात्र विकल्प बताने के आह्वान पर कहा कि इस अभियान के लिए देश भर में अभियान चलाने का काम किया जाएगा।उन्होंने कहा स्वदेशी जागरण मंच सरकार से ई-कॉमर्स दिग्गजों को विनियमित करने, उन्हें अपने प्लेटफॉर्म पर बेचे जा रहे उत्पादों के भंडारण, शिकारी मूल्य निर्धारण और उनके पसंदीदा विक्रेताओं की प्रथा को रोकने और अपने स्वयं के लेबल वाले उत्पादों की बिक्री को रोकने का भी आह्वान करता है।कश्मीरी लाल ने कहा कि स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि मूल्यवान विदेशी मुद्रा बचाने के और भी कई उपाय हो सकते हैं। सामान्य रूप से विदेशी वस्तुओं का न्यूनतम उपयोग हो और चीन, तुर्की व अन्य विरोधी देशों की वस्तुओं और सेवाओं का बहिष्कार करना चाहिए।विदेशी विश्वविद्यालयों में अध्ययन का मोह त्यागना, स्थानीय उत्पादों का उपयोग और कारीगरों को बढ़ावा देना न केवल मूल्यवान विदेशी मुद्रा बचाने में सहायक हो सकता है बल्कि विकास के विकेंद्रीकृत मॉडल के आधार पर स्थानीय स्तर पर रोजग़ार, आजीविका और लोगों के कल्याण को भी बढ़ावा दे सकता है।चीन लंबे समय से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है, लेकिन यह रिश्ता लगातार एकतरफा और खतरनाक होता जा रहा है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा लगातार और वर्तमान में 99.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया है। सस्ते और अक्सर घटिया सामान भारतीय बाजारों में प्रवेश कर रहे हैं जो हमारे एमएसएमई को नुकसान पहुंचा रहे हैं।नौकरियों को नष्ट कर रहे हैं और घरेलू विनिर्माण क्षमता को कमजोर कर रहे हैं। इससे भी अधिक चिंताजनक बात यह है कि चीन इस आर्थिक लाभ का उपयोग अपनी भू-राजनीतिक आक्रामकता को वित्तपोषित करने और बढ़ावा देने के लिए करता है। गलवान, डोकलाम और अन्य सीमा गतिरोधों में इसे देखा गया है।उन्होंने यह भी कहा कि 21वीं सदी की ईस्ट इंडिया कंपनी सरीखे नए डिजिटल एकाधिकार अमेजन, वॉलमार्ट (फ्लिपकार्ट) और अन्य पश्चिमी ई-कॉमर्स दिग्गज ये प्लेटफॉर्म भारत के पारंपरिक खुदरा व्यापार को कमज़ोर करने का काम कर रहे हैं। ये लाखों छोटे व्यापारियों को हाशिए पर डालने का काम कर रहे हैं। ये केवल प्लेटफॉर्म नहीं हैं, ये डिजिटल साम्राज्य हैं जो नियमों की धज्जियां उड़ाते हैं। स्वदेशी का दर्शन अलगाववादी नहीं है।जरूरी है कि भारत की आर्थिक नीतियां, व्यापारिक निर्णय और उपभोक्ता व्यवहार राष्ट्र के दीर्घकालिक हितों के अनुरूप हों। होना यह चाहिए कि एक भारतीय द्वारा खर्च किया गया हर रुपया भारतीय अर्थव्यवस्था को मज़बूत करे,न कि उन विदेशी विरोधियों या निगमों की महत्वाकांक्षाओं को पोषित करे जिनकी भारत के भविष्य के प्रति कोई प्रतिबद्धता नहीं है।
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