(मनावर) मनावर मं दो युवाओं की रोचक टक्कर, इंजीनियर बेटा पिता की खींची लकीर पर, मुकाबला डॉक्टर से

  • 27-Oct-23 12:00 AM

मनावर,27 अक्टूबर (आरएनएस)। वह पिता की तरह बेहद सरल और सहज है। युवा है। 27 बरस का, इस बार के विधानसभा चुनावम ें भाजपा का सबसे युवा प्रत्याशी। वह कम बोलता है, मगर काम की बात जरूर करता है। सुनता सबकी है। सही-गलत का फर्क समझता है। इंजीनियर है, पिता के आकमिस्क निधन के बाद नौकरी छोड़कर जनता की सेवा में जुट गया। जीवन का पहला चुनाव जिपं सदस्य का लड़ा। इतने वोटों से जीता कि बड़े-बड़े प्रत्याशी लोकसभा-विधानसभा में इतने वोटों से नहीं जीत पाते। हम बात कर रहे हैं भाजपा के मनावर के प्रत्याशी शिवराम गोपाल कन्नौज की। शिवराम ने विधानसभा का टिकट हासिल कर पहली लड़ाई जीती है। उनके साथ भाजपा की बड़ी नेता रंजना बघेल टिकट की दौड़ में भी जो पीछे रह गई। रंजना बघेल इससे बेहद खफा हैं। जब वे इसका कारण बताती हैं तो 33 बरस पीछे देखती हैं। जब साल था 1990 का, भाजपा रामशिला की लहर पर सवाल थी। इस बखत पार्र्टी के पास मजबूत उम्मीदवार तक नहीं दिख रहे थे लेकिन जनता में जो ज्वार था उसकी बदौलत नए चेहरों ने हुंकार भरी उसमें कांग्रेस के दिग्गज खेत रहे। धार जिले में कांग्रेस के दो दिग्गज शिवभानु सोलंकी और जमुनादेवी के सामने नई उमर के एक लड़के गजेंद्र सिंह राजूखेड़ी और रंजनाब घेल को भाजपा ने मैदान में उतारा था। रंजना बघेल 25 बरस की थीं। जैसे आज शिवराम 27 बरसा के हैँ। जमुना देवी तब 60 बरस की थीं। रजना आज 58 की हैं। समय का चक्र उल्टा घूमा है। आज के शिवराम और तब की रंजना बघेल में संगठन को लेकर कई समानताएं हैं, बस शिवराम के सामने जमुना देवी जैसे कद का प्रत्याशी नहीं है लेकिन क्षेत्र में उस कद के करीब रंजना जरूर हैं शिवराम के टिकट की दौड़ जीत कर एक तरह से रंजना बघेल को पछाड़ा है। इसलिए कहते हैं राजनीति का खेल निराला है। अनिल पुरोहित




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