
(मनेन्द्रगढ़) आज भी जिले की प्रथम पूज्य हैं माता चांगदेवी - पाण्डेय
- 01-Oct-25 08:19 AM
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नवरात्रि पर लगता है भक्तों का मेला
सुरेश मिनोचा

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मनेन्द्रगढ़, 01 अक्टूबर (आरएनएस)। नवरात्रि के पावन अवसर पर जिलेभर के भक्त माता चांगदेवी मंदिर में जुटते हैं। स्थानीय मान्यता के अनुसार माता चांगदेवी आज भी जिले की प्रथम पूज्य देवी हैं। जिला मुख्यालय मनेंद्रगढ़ से लगभग 110 किलोमीटर दूर कठौतिया, केल्हारी, जनकपुर और भगवानपुर होकर चांगदेवी मंदिर पहुंचा जा सकता है।
जिला नोडल अधिकारी (पर्यटन एवं पुरातत्व) डॉ. विनोद पांडेय बताते हैं कि माता चांगदेवी ना केवल चांगभखार रियासत की बल्कि कोरिया रियासत की भी कुलदेवी मानी जाती हैं। दोनों रियासतों के अधीश्वर चौहान वंशीय राजपूत रहे हैं और देवी की प्रतिमा कलचुरी शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण मानी जाती है। मंदिर का वर्तमान स्वरूप वर्ष 1974-75 में स्थानीय निवासी तेज बहादुर सिंह द्वारा निर्मित कराया गया था। इसी समय मंदिर परिसर में एक कुएं का निर्माण भी हुआ। कहा जाता है कि चांगदेवी की प्रतिमा भैया महावीर सिंह (राजा) के समय की है। प्रारंभ में यहां पूजा का कार्य लमना जाति के नायक राजा किया करते थे।
लोगों की है मान्यतामाता चांगदेवी को लेकर स्थानीय लोगों में गहरी आस्था है। श्रद्धालुओं का विश्वास है कि माता के दरबार में सच्चे मन से प्रार्थना करने पर सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। नवरात्र के समय दूर-दराज़ से आने वाले भक्तजन ज्योति कलश जलाकर माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि आज भी जब किसी परिवार पर संकट आता है या कोई विशेष कामना होती है तो वे माता चांगदेवी की शरण में पहुंचते हैं। कई श्रद्धालुओं का अनुभव है कि माता के आशीर्वाद से उनकी इच्छाएं पूरी हुई हैं। यही कारण है कि यह मंदिर केवल धार्मिक स्थल ही नहीं बल्कि आस्था और विश्वास का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
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