(महत्वपूर्ण) (रायपुर) धान खरीदी भ्रष्टाचार रोकने महिला अधिकारियों को दी गई कमान
- 13-Oct-25 07:55 AM
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0-ओवर परचेंसिंग से मार्कफेड को हो रहा घाटा
रायपुर, 13 अक्टूबर(आरएनएस)। धान खरीदी अगले महीने से हो रही धान खरीदी में महिला अधिकारियों को कमान सौंपी गई है। खाद एवं राजस्व विभाग की प्रभारी रीना बाबा साहेब कंगाले और मार्कफेड की एमडी किरण कौशल को धान खरीदी के तहत भ्रष्टाचार को रोकने एवं धान खरीदी के पूर्व पूरी तैयारी करने का जिम्मा सौंपा गया है।
मिली जानकारी के अनुसार राज्य में धान खरीदी पर्व 15 नवंबर से शुरू हो रहा है। इसके लिए मार्कफेड को नोडल एजेंसी बनाया गया है। धान खरीदी के लिए धन की व्यथा मार्कफेड से की जाती है। इसकी कमान रीना बाबा साहेब कंगाले के पास है। उन्हें राजस्व विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। इसका फायदा यह हुआ कि उन्होंने राजस्व विभाग से धान की फसल की क्राप सर्वे किरा लिया। पटवारियों से गिरदावरी रिपोर्ट ले ली गई, और उसे ग्राम पंचायतों में पढ़ कर बताया जा रहा है। ग्राम स्तर पर बिचौलियों की नहीं चल पाएगी ऐसा अनुमान है। अभी तक खेतों में 15 क्विंटल धान नहीं होते थे, वहां 21 क्विंटल का क्लेम किया जाता है। सरकार ने धान खरीदी के लिए ऑनलाइन क्लेम किया जा रहा है। कैबिनेट ने ऑनलाइन धान खरीदी की मुहर लगा दी है। मोबाइल एप्प से टोकन मिलेगा अैर बाइमैटरिंक भी होगा। सिस्टम की कवायद सफल रही तो राईस मिलर्स पर चोट पहुंचेगी।
मार्कफेड को 8 हजार करोड़ का घाटा
मिली जानकारी के अनुसार राज्य में 1.50 लाख मीट्रिक टन धान खरीदा जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि मार्कफेड को 8 हजार करोड़ का घाटा हो चुका है, जिससे मार्कफेड की हालात काफी खराब हो गई, किसान और धान से कोई दिक्कत नहीं है, यहां पर धान माफियाओं से सरकार को परेशानी हो रही है। इससे आर्थिक नुकसान हो रहा है, जितना भी धान ओवर परचेंस किया जाएगा, उससे और भी जोखिम हो गया है। बताया जाता है कि 30 से 35 टन फर्जी खरीदी हुई थी, जिसके कारण करीब 2000 करोड़ का नुकसान उठा पड़ा था। फिलहाल इस पर अंकुश लगा दिया गया है। इससे खजाने में 10 हजार करोड़ बचेगा, जो माफियाओं, राईस मिलरों और अधिकारियों की जेब में जाता है। बारदाना खरीदी के लिए जूट कमिश्रर को पत्र लिखा जा रहा है। धान परिवहन के लिए टेण्डर के आधार पर काम दिया जाएगा। इसके अलावा धान खरीदी के लिए कम्प्यूटर ऑपरेटर की भर्ती प्लेसमेंट आधार पर की जाएगी। धान खरीदी का ऑडिट किए जाने की मांग की जाती रही है, लेकिन कोई भी सरकार सोशल ऑडिट नहीं कराती है।
आर. शर्मा
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