(मुरैना) चंबल की राजनीति में नहीं टिक सके पूर्व दस्यु

  • 19-Oct-23 12:00 AM

मुरैना,19 अक्टूबर (आरएनएस)। चंबल के बीहड़ों में कभी जिनके नाम का डंका बजता था, वह जब समाज की मुख्यधारा में लौटे और राजनीति के मैदान में भाग्य अजमाना चाहा तो जनता ने नकार दिया। बात चंबल के दस्यु सरदारों की हो रही है। पूर्व दस्यु सरपंची ओर नगरीय निकाय जैसे छोटे चुनावों में सफल होते रहे लेकिन विधानसभा के चुनाव में जनता की पसंद नहीं बन सके। 70 व 80 के दशक में कुख्यात डकैत रमेश सिंह सिकरवार चंबल में आतंक का पर्याय थे। उनकी गैंग ने तब 70 से ज्यादा लोगों की हत्या की थी। 250 से ज्यादा डकैती डाली थी। फिरौती के लिए 50 से अधिक लोगों का अपहरण किया था। 1984 में उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया। दस साल की सजा काटकर सामाजिक जीवन में लौटे तो विधायक का चुनाव लडऩे की इच्छा जागी। विजयपुर विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन जनता ने नकार दिया। अब वह भाजपा में हैं और रह-रहकर टिकट के प्रयास भी करते रहते हैँ। सबसे दुर्दांत डकैत रहे दयाराम-रामबाबू गड़रिया की बहन रामश्री गड़रिया ने 2007 में ग्वालियर लोकसभा से चुनाव लड़ा और जमानत तक नहीं बचा पाई। पूर्व दस्यु मलखान सिंह की लालसा भी विधायक बनने की है। वह कुछ महीने हपले कांग्रेस मेंशामिल हुए हैं। सामाजिक मामलों के जानकार प्रो. मनोज जैन कहते हैं कि डकैत कुख्यात रहे हैं। अपवारद छोड़कर राजनीति मेंकोई पूर्व दस्यु इसलिए भीसफल् नहीं हो पाया, क्योंकिउनकी छवि लागू भूल नहीं पाए थे। अनिल पुरोहित




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