(मेरठ)जहरीली हवा से संकट में सांस, एक और कोविड की आहट
- 20-Nov-24 12:00 AM
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-फेफड़ों में रोज जा रहा 15 सिगरेट का धुआंमेरठ 20 नवंबर (आरएनएस )। प्रकृति के साथ छेड़छाड़ का असर दिखने लगा है। जहरीली हवा से लोगों के प्राण संकट में हैं, ऐसे में एक और कोरोना की आहट दिख रही है। दिल्ली की स्थिति गंभीर है और मेरठ भी उसी रास्ते पर आकर खड़ा हो गया है। यदि समय से नहीं चेते, तो एक और कोविड की यह दस्तक होगी। देश में फिर लॉकडाउन जैसे हालात होंगे। यह बात मंगलवार को आरजी पीजी कॉलेज में आयोजित सेमिनार में पर्यावरणविद पद्मभूषण पद्मश्री डॉ. अनिल जोशी ने कही।राष्ट्रीय संगोष्ठी का विषय पर्यावरण संकट एवं विकासशील अर्थव्यवस्थाएं : चुनौतियां, रणनीतियां और समाधान रहा। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. अनिल जोशी, विशिष्ट अतिथि सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ. एसके त्यागी, जागरूक नागरिक संगठन के सचिव गिरीश शुक्ला और प्राचार्य प्रो. निवेदिता कुमारी ने मां सरस्वती के समक्ष दीप जलाकर किया।इस शताब्दी का सबसे गर्म साल रहा वर्ष 2023तकनीकी सत्र में प्रो. डिंपल विज प्राचार्य एकेपी कॉलेज खुर्जा ने जलवायु परिवर्तन और अर्थव्यवस्था प्रभाव रणनीतियां एवं समाधान विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि 2024 की क्लाइमेंट रिस्क लैंडस्केप रिपोर्ट के अनुसार 2023 इस शताब्दी का सबसे गर्म साल रहा है। दूसरे तकनीकी सत्र में मोदीनगर से डॉ. राजपाल त्यागी ने वायु प्रदूषण को लेकर पैदा होने वाली चुनौतियों पर चर्चा की। सेमिनार में 400 से अधिक प्रतिभागी, 60 से अधिक शिक्षक, शोधार्थी ने पेपर प्रस्तुत किए।प्रदूषण की वजह से हर रोज 15-20 सिगरेट के बराबर धुआं पी रहे लोगधूम्रपान करने वाले 100 में 60 लोगों को सीओपीडी (क्रॉनिक ऑब्सट्रेक्टिव पल्मोनरी डिजीज) हो रही है। प्रदूषण सीओपीडी के मरीजों की जान के जोखिम को और बढ़ा देता है। इन दिनों प्रदूषण का स्तर (एक्यूआई) 350 के आसपास है, जो 15-20 सिगरेट पीने के बराबर है। विशेषज्ञ चिकित्सक सिगरेट पीने वाले व्यक्ति की जिंदगी हर रोज छह मिनट तक कम होने का दावा करते हैं।सांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरोत्तम तोमर ने बताया कि पिछले कुछ सालों से महिलाओं में यह बीमारी बढ़ी है, क्योंकि महिलाएं भी काफी धूम्रपान करने लगी हैं। साथ ही प्रदूषण इसे और बढ़ा रहा है। दमा आनुवांशिक होता है और धूम्रपान-प्रदूषण से बढ़ता है, जबकि सीओपीडी आनुवांशिक नहीं होता। यह प्रदूषण और धूम्रपान से फैलता है। इन्हेलर इस्तेमाल से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। निमोनिया की वैक्सीन भी लगवा सकते हैं।सिगरेट में होते हैं चार हजार हानिकारक तत्वसांस एवं छाती रोग विशेषज्ञ डॉ. वीएन त्यागी ने बताया कि एक सिगरेट में चार हजार हानिकारक तत्व होते हैं। इसमें मुख्यत: निकोटिन, टार, कार्बन मोनोक्साइड, आर्सेनिक और कैडमियम आदि होते हैं। सीओपीडी टीबी से भी ज्यादा घातक है। हर साल दुनिया में करीब 30 लाख लोगों की जान इस बीमारी से जा रही है, जो टीबी से करीब सात गुना ज्यादा है।
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