(रतलाम)आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में हुई चैत्यपरिपाटी

  • 15-Oct-23 12:00 AM

- पर्युषण के कर्तव्य स्वरूप हुआ आयोजनरतलाम, आरएनएस, 15, अक्टूबर। आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में पर्युषण के कर्तव्य स्वरूप रविवार को सामूहिक चैत्यपरिपाटी का आयोजन हुआ। प्रात: में यह राजमल हेमंतकुमार राकेशकुमार भंडारी के गृहआंगण मोहन टॉकीज से प्रारंभ हुई। इस दौरान आचार्य श्री के साथ बड़ी संख्या में धर्मालुजन भी उपस्थित रहे।चैत्यपरिपाटी पांच जिनालय अजीतनाथजी का मंदिर सेठजी का बाजार, सागोद तीर्थ, जयंतसेन धाम, दादावाड़ी और बिबड़ौद तीर्थ पहुँची । उक्त सभी जिनालयों में आचार्य श्री सहित समस्त धर्मालुजनों ने प्रभु के दर्शन वंदन कर धर्म लाभ लिया। चैत्यपरिपाटी के बिबड़ोद तीर्थ पहुँचने के पश्चात यहां आचार्य श्री के प्रवचन हुए।आचार्य श्री ने बताया कि भले ही हम मासक्षमण करले, लाखों का दान कर ले और चौसठ प्रहरी पौषध भी कर ले, लेकिन जब तक पर्युषण पर्व के पांच कर्तव्यों को पूर्ण नहीं करेंगे तब तक पर्वाधिराज की आराधना पूर्ण नहीं होती है। इन पांच कर्तव्यों में मुख्य कर्तव्य ही चैत्यपरिपाटी है। जिसने इसे पूरा कर लिया समझों की उसकी आराधना पूर्ण हो गई।आचार्य श्री के अनुसार चैत्यपरिपाटी के माध्यम से हमारा प्रभु से कनेक्शन, गुणों का कलेक्शन और जीवन में करेक्शन होता है, इसलिए इसमें जाना चाहिए।इस दौरान श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी के पदाधिकारी और बड़ी संख्या में धर्मालुजनों उपस्थित रहे।




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