(रतलाम)गति तो हर जन्म में परिवर्तित होती है, हमें इस जन्म में मति परिवर्तन करना है- आचार्य श्री कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.

  • 13-Dec-23 12:00 AM

रतलाम, आरएनएस, 13, दिसम्बर। गति तो हर जन्म में परिवर्तित होती रहती है लेकिन इस जन्म में हमें मति को परिवर्तन करना है। इसके लिए हमें जीवन की नए प्रकार की ए,बी,सी, डी को सिखाना होगा। यदि ये चार चीज जीवन में आ जाए तो हमारा मति परिवर्तन होना तय है। यह बात आचार्य श्री कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने नीम चौक स्थानक पर तीन दिवसीय प्रवचन श्रेणी के शुभारंभ अवसर पर कही।आचार्य श्री रतलाम में ऐतिहासिक चातुर्मास के बाद शहर से विहार पूर्व पूरे सप्ताह ज्ञान गंगा बहाऐंगे। बुधवार को नीम चौक स्थानक में विशेष प्रवचन हुए। इसके साथ ही पर बेसता महीने की महामांगलिक भी श्रवण कराई गई। इसके पूर्व आचार्य श्री ने प्रवचन में कहा कि आज हमारे पास शक्ति तो है लेकिन सहन शक्ति नहीं है।आचार्य श्री ने कहा कि अभिमानी कहता है मुझे किसी की जरूरत नहीं है लेकिन अनुभवी कहेगा कि धूल-मिट्टी की भी जरूरत होती है। क्योंकि क्रोध अल्प जीवी होता है लेकिन अहंकार चीर जीवी होता है। हम अपने शरीर की चिंता तो 24 घंटे करते हैं लेकिन आत्मा की एक पल के लिए भी नहीं करते, हमें अपनी आत्मा की चिंता करना चाहिए।आचार्य श्री ने कहा कि हमारे भीतर पाप को मना करने की हिम्मत होना चाहिए और धर्म करने के लिए साहस चाहिए। जीवन में जब भी धर्म करने का मौका मिले तो उसे करो। बिना साहस के धर्म नहीं होता है। तीन दिवसीय विशेष प्रवचन के दौरान बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित रहे।तीन दिवसीय प्रवचन श्रेणी के बाद शहर के धानमंडी क्षेत्र में आचार्यश्री के श्रीमुख से महासत्संग का आयोजन होगा। इसमें वे 16 दिसंबर को राम वो ही पूर्ण विराम विषय पर और 17 दिसंबर को नहीं एसो जनम बारबार विषय पर प्रवचन देंगे। 14 दिसंबर को भी आचार्य श्री के प्रवचन नीम चौक स्थानक में होंगे।




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