(रतलाम)छोटू भाई की बगीची में प्रवचन-सोच ही मनुष्य को बनाती है-संकल्पवान, बलवान और कर्मठ-आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा

  • 06-Oct-23 12:00 AM

रतलाम, आरएनएस, 06 अक्टूबर। हमारी सोच में ही सबकुछ समाया हुआ है। सोच ही मनुष्य को संकल्पवान, बलवान और कर्मठ बनाती है। आज हमारी सोच संकीर्ण हो गई है, जिससे तरह-तरह की बिमारियां घेर लेती है। तन की बिमारियां कम और मन की अधिक होती है। इसमें लोग डॉक्टरों के चक्कर लगा रहे है। सिर्फ सोच बदलने से सबकुछ बदल सकता है। धर्मार्थ कार्य करो, सत्संग करो और सकारात्मक रहो, तो तन और मन के साथ जीवन आनंददायी हो जाएगा।यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने कही। छोटू भाई की बगीची में आयोजित चातुर्मासिक प्रवचन में उन्होंने कहा कि सोच की शक्ति मानव के पास ही होती है, जैसे-जैसे जीवन गुजरता है, वैसे-वैसे विकसित होती जाती है। सोच ही जीवन की सफलता का माध्यम होती है। यदि सोच सात्विक, सकारात्मक ओर सार्थक रहे, तो जीवन की सफलता निश्चित है। हमे ये कभी नहीं भूलना चाहिए कि सोच का प्रभाव मन पर पडता है, मन का तन पर और तन-मन दोनो का प्रभाव जीवन पर होता है। जीवन को सफल बनाना है, तो प्राप्त को पर्याप्त मानो। प्राप्त को जो पर्याप्त नहीं मानते, उन्हें सबकुछ प्राप्त होने पर भी कुछ प्राप्त नहीं होता है।आचार्यश्री ने बताया कि वे 14 वर्ष की उम्र मे साधु बन गए थे। उनके संयम जीवन को 51 साल हो रहे है और वे अपने जीवन से पूर्ण संतुष्ट है। उन्हें यह उपलब्धि केवल सोच के कारण मिली है। सोच पर ही वृत्ति और प्रवृत्ति निर्भर करती है। मनुष्य की जैसी सोच रहती है, वैसी ही वृत्ति और प्रवृत्ति बन जाती है। यदि जीवन में इस निष्कर्ष को लक्ष्य बनाया, तो आपका जीवन सफल हो जाएगा।आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने धर्म आराधना करने की प्रेरणा दी। महासती श्री इन्दुप्रभाजी मसा ने 18 उपवास के प्रत्याख्यान लिए। इस मौके पर जयपुर श्री संघ की और से नवीन लोढा एवं ताल श्री संघ के कमल पितलिया ने विनती की। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment