(रतलाम)जितना जीवन सीखाता है, उतना कोई पुस्तक नहीं सिखा सकती-योग गुरु डॉ. प्रज्ञा पुरोहित ने योग प्रशिक्षण शिविर में बच्चों से कहा

  • 27-Oct-23 12:00 AM

रतलाम, आरएनएस, 27 अक्टूबर। जीवन ही सब से बड़ा गुरु है, क्योंकि जितना जीवन सिखाता है, उतना कोई पुस्तक नहीं सिखा सकती परंतु, ये भी अटल सत्य है की, ये जीवन परिवर्तनशील है।यह बात सेंट जोसेफ कॉन्वेंट स्कूल में विद्यार्थियों को योग शिक्षा का प्रशिक्षण देते हुए प्रसिद्ध योग गुरु डॉ प्रज्ञा पुरोहित ने बच्चों से कही। उन्होंने कहा कि जिसका तात्पर्य है की, जो सीख माता पिता ने अपने जीवन के अनुभवों से ली, वह आज भी बच्चों को काम तो आएगी, मगर कुछ हद तक ही, इसलिए माता पिता अपनी सलाह तो दें, पर साथ ही वो आजादी भी दें, जहां बच्चे अपने, खुद के अनुभवों से, सीख ले सकें।आश्चर्य हुआ की, इतने छोटे बच्चों के अंदर, इतने तनाव हैं। बच्चों के अनुसार ऐसी कार्यशाला, हमारे माता पिता के साथ भी आयोजित की जाना चाहिए। माता -पिता को बच्चों की मानसिकता समझना अनिवार्य है। अपनी सीखों को पूर्णत: बच्चों पे थोपना, अपनी अधूरी अभिलाषाओं का बोझ बच्चों पर डालना, अपने बच्चों की योग्यताओं से अनभिज्ञ रह कर, उन्हें भीड़ का हिस्सा बनने के लिए धकेलना, ये सब अंदर ही अंदर से बच्चों को खोखला कर रहा है, और यही कारण हैं की, हर बच्चा ये चाहता है की, कोई ये सब बातें उनके माता पिता को समझा दे।क्योंकि इन बोझों तले, बच्चे अंदर ही अंदर घुटते हैं।और जब वो खुद को नाकाम पाते हैं तो, अपने जीवन का अंत कर देना ही, आखरी विकल्प पाते हैं।योग गुरु प्रज्ञा पुरोहित ने कहा कि बच्चों को जीवन के हर क्षेत्र में सफल होने की सीख देने के लिए उन्हें ये सिखाना चाहिए की, खुद से प्रेम करने की क्या महत्ता है, खुद की काबिलियत जानना कितना जरूरी है और जीवन की हर परिस्थिति को मन से स्वीकारना कितना आवश्यक है। अंतत: एक बात जो हर माता पिता को, अपने बच्चों को रोज गले लगा कर, कहनी चाहिए, वो ये है की," चाहे कुछ भी हो जाए, हम तुम्हारे साथ हैं।"अपने बच्चों का प्रेमी होंसलादयी बनें, ना की भयपूर्ण शिक्षक, ताकि बच्चे हर बात निडर होकर, अपने माता पिता से बांट सके। कार्यक्रम में श्रेष्ठ प्रश्न पूछने वाले 11 विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया अंत में आभार सिस्टर जैसी ने माना।




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