(रतलाम)जीवन में नियम का प्रत्याख्यान के साथ होना बहुत जरूरी है : पूज्या डॉ. संयमलता जी म.सा.

  • 16-Jul-25 12:00 AM

राजनीति में धर्मनीति होना बहुत जरूरी : पूज्या डा. अमितप्रज्ञा म.सा.रतलाम, आरएनएस, 16 जुलाई। जीवन में हमेशा व्रत नियम पच्चखान लेना चाहिए। जीवन में नियम का होना बहुत जरूरी है, प्रत्याख्यान जरुरी है। जैसे लिफ्ट, कार, बस, ट्रेन, प्लेन का दरवाजा लगने के बाद सुरक्षित होती है वैसे ही जीवन में धर्म की सुरक्षा के प्रत्याख्यान रूपी दरवाजा बंद करना जरूरी है। उक्त विचार दक्षिण चन्द्रिका जैन दिवाकरीय महासती डॉ. संयमलता जी म.सा. ने नीमचौक जैन स्थानक पर आयोजित धर्मसभा मे व्यक्त किये । पूज्या महासतिया जी ने फरमाया की जैसे बिना ब्रेक की गाड़ी में बैठना जीवन को खतरे में डालने के समान है। जिस प्रकार गाड़ी में प्रॉपर ब्रेक होना जरूरी है, ठीक उसी प्रकार जीवन की दौड़ती हुई गाड़ी को संभालने के लिए त्याग, प्रत्याख्यान और नियम रूपी ब्रेक का होना जरूरी है । त्याग नियम व्रत प्रत्याख्यान भले ही छोटे छोटे लो भले ही एक नियम धारण करो लेकिन उसका पालन मुस्तेदी से करो । एक छोटा सा त्याग और नियम भी आपकी जिंदगी पलटने की किस्मत का ताला खोलने की चाबी बन सकता है।धर्मसभा मे पूज्या श्री डा. अमितप्रज्ञा जी म.सा. ने फरमाया की राजनीति में धर्मनीति होना बहुत जरूरी है । राजनीति क्या है अंधेरी गलियों में चलना, टेढ़े मेढे रास्ते कंटीले पथरीले रास्ते पर चलना, पग पग पर झूठ बोलना, फरेब करना, कभी किसी का विश्वास नही करना, पग पग पर विश्वासघात सहन करना और विश्वासघात करना, जो वादा किया वो पूरे नही करना और जो नही कहा वो ही करना अगर ये सब योग्यताएं अगर आपमें है तभी आप राजनीति में प्रवेश कर सकते है। वरना राजनीति में आपके लिए कोई जगह नही है, लेकिन अब राजनीति में धर्मनीति की सख्त जरूरत है। जब तक धर्मनीति राजनीति में नही होगी तब तक राजनीति का शुद्धिकरणकरण नही हो सकता है। ऐसे ऐसे धर्माचार्य हुए है जिन्होंने धर्म के द्वारा राजनीति में परिवर्तन किया। आचार्य रत्नप्रभ सूरी जी म.सा. द्वारा ओसिया के देवी मंदिर में बली प्रथा बन्द करवाई। ओसियां जी जहां जैनियों के नाम मात्र के 10 घर बाकी सभी राजपूत, एवं अन्य समाज के घर थे वँहा पर पहले जाहिर प्रवचन के माध्यम से लोगो को विश्वास में लिया फिर कहा कि देवी अगर बली चाहती है तो देवी के मंदिर में भैंस और बकरे को बंद कर दो अगर सुबह मृत मिले मतलब देवी को बली चाहिए अन्यथा नहीं। और सुबह पशु मंदिर में सही सलामत मिले इस तरह राजनीति में धर्मनीति का सहारा लेकर ओसियां जी में आचार्य ने बलि प्रथा बन्द करवाई और कई लोगो को मांसाहारी से शाकाहारी बना दिया। जोगणिया माता के मंदिर में भी बलि चढ़ती थी वहां पर राजस्थान सिंहनी साध्वी श्री यश कँवर जी म.सा. ने बलि चढ़ाने वालों को ललकारा और बलि प्रथा बन्द करवाई। पूज्य गुरुदेव जगत वल्लभ जैन दिवाकर श्री चौथमलजी म.सा. भी राजनीति में धर्मनीति करते थे, कई राजा महाराजा उनसे अपने महल में प्रवचन के लिए निवेदन करते तो वो महलों में भी प्रवचन देते लेकिन उसके पहले वे उन राजा महाराजाओं से अहिंसा का पट्टा लिखवाते थे। अत: धर्मनीति जब इस प्रकार से राजनीति में प्रवेश करेगी तभी एक अच्छा माहौल बनेगा। धर्म को चारदीवारी बाहर निकालना होना और जनधर्म बनाना होगा।धर्मसभा मे श्रीमती हर्षिता मालवी के 9 उपवास पूर्ण होने पर श्री वर्धमान स्थानक वासी जैन श्रावक संघ द्वारा तपस्वी का बहुमान किया गया।




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