(रतलाम)धर्म की प्राप्ती के लिए तीन उपाय है,भक्ति, मैत्री और मुक्ति- आचार्य श्री कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.

  • 14-Dec-23 12:00 AM

नीमचैक स्थानक पर तीन दिवसीय विशेष श्रेणी प्रवचनरतलाम, आरएनएस, 14 दिसंबर। यदि आपकों धर्म की प्राप्ती करना हो तो तीन रास्ते है- साधक के प्रति भक्ति, सर्वजीवों के प्रति मैत्री और अपने आग्रहों में से मुक्ति। भक्ति, मैत्री, मुक्ति यदि यह तीन उपाय आपको प्राप्त हो गए तो धर्म पाना बिलकुल सरल है। यह बात आचार्य श्री कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने नीमचैक स्थानक पर तीन दिवसीय प्रवचन श्रेणी में कही।आचार्य श्री ने कहा कि प्रभु कहते है जहां हमारी गति होती है, वहां हमारी मति होती है और जहां हमारी मति होती है, वहीं आने वाले जन्म की हमारी गति होती है। सुंदर चेहरा दस-बीस मिनट याद रहता है, इसलिए शरीर की सुंदरता को देखने के बजाए अपने जीवन के अंदर की सुंदरता को बाहर लाओ, जिससे लोग आपको, आपके व्यवहार के कारण जीवन भर याद रखे।संसार में कदम-कदम पर सगे-संबंधियों के साथ बिगाड़ होता है, उनसे संबंध को संभालना पड़ता है लेकिन धर्म के क्षेत्र में कदम-कदम पर जगत के दुश्मनों के साथ संबंध सुधारना पड़ता है।आचार्य श्री ने कहा कि संसार में यदि किसी एक व्यक्ति के साथ भी आपका संबंध बिगड़ गया तो समझ लेना कि आपाका मोक्ष अटक गया।आयुर्वेद ग्रंथ में सबसे बड़ा खतरनाक रोग चित्त विशादना को बताया है। सब कुछ होने के बाद भी मन उदासी में रहता है। आज 21वीं सदी में डॉक्टरों की भाषा में इसे हम डिप्रेशन कहते है।आचार्य श्री ने कहा कि दस में से एक व्यक्ति डिप्रेशन में रहता है, वह भी तब जबकि सब कुछ उसके पास होता है। आयुर्वेद कहता है कि चित्त विशाद नहीं चित्त निशाद होना चाहिए। यानी की मन को प्रसन्न करना है और उसके लिए जीने का तरीका बदलना है। इसके बदलते ही आपका चित्त प्रसन्न हो जाएगा और डिप्रेशन खत्म हो जाएगा।धानमंडी में 16 दिसंबर से दिवसीय महासत्संग का आयोजनआचार्य श्री कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. के नीम चैक स्थानक पर तीन दिवसीय विशेष प्रवचन श्रेणी के बाद धानमंडी क्षेत्र में 16 एवं 17 दिसंबर को आचार्यश्री के श्रीमुख से महासत्संग का आयोजन होगा। इसमें वे राम ही पूर्ण विराम विषय पर और ऐसो जनम बारबार विषय पर प्रवचन देंगे।




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