(रतलाम)नकारात्मकता से संघ के संबंध टूटते और सकारात्मकता से जुडते है- आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा

  • 27-Oct-23 12:00 AM

शांत क्रांति संघ सकारात्मक सोच का धनीरतलाम, आरएनएस, 27 अक्टूबर। धर्म, समाधि देता है। समाधि हमेशा समाधान से प्राप्त होती है। समाधान का हिस्सा बनने वाले बडे धार्मिक होते है। समस्या का हिस्सा बनने वाले अधार्मिक है। अधार्मिक लोग समस्या ही समस्या खडी करते है, जिससे समाधान नहीं मिलता। समाधान, सकारात्मक सोच से ही होता है। नकारात्मकता से संघ के संबंध टूटते है और सकारात्मकता से जुडते है। सकारात्मकता होगी, तो संघ को आगे बढाते रहेंगे।यह बात श्री अखिल भारतवर्षीय साधुमार्गी शान्त क्रान्ति जैन श्रावक संघ का 27 वें वार्षिक अधिवेशन से पूर्व परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने छोटू भाई की बगीची में प्रवचन के दौरान कही। जेएमडी पैलेस में आयोजित मुख्य अधिवेशन में आचार्यश्री 28 अक्टूबर को दोपहर 2 बजे प्रवचन एवं मांगलिक श्रवण करांएंगे। शुक्रवार को अधिवेशन में आए सदस्यों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि शांत क्रांति संघ सकारात्मक सोच का धनी है। संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजू भूरट, युवा संघ के सपन कांकरिया और महिला मंडल की अंजना कोचेटा सकारात्मकता से संघ को आगे बढा रहे है।उन्होंने कहा कि नकारात्मकता निराशा पैदा करती है, निराशा से कुंठा पैदा होती है और कुंठा से चिंता तथा चिंता से भय पैदा होता है। इससे नकारात्मकता संघ के संबंधों को तोडऩे वाली बन जाती है। सकारात्मकता से किए गए कार्य ही संघ की सबसे बडी सेवा है। घर में भी नकारात्मकता की सोच नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे परिवार के लोग घृणा करने लगते है। घर, परिवार और समाज सब एक-दुसरे से जुडे हुए है। इसलिए सकारात्मकता का हर कार्य बडी सेवा है।आचार्यश्री ने कहा कि सोच यदि सकारात्मक चाहिए, तो शैली सृजनात्मक रहनी चाहिए। सकारात्मकता और सृजनात्मकता ने ही शांत क्रांति संघ को इस मुकाम पर पहुंचाया है। संघ में आत्मीयता और अपनत्व का भाव हमेशा रहे, इसके लिए सदस्यों को सदैव सकारात्मक रहना होगा। आचार्यश्री ने इस मौके पर व्यसनों से दूर रहने का संकल्प दिलाया और कहा कि सदस्य व्यसन मुक्त रहेगा, तो परिवार क्लेश मुक्त रहेंगे। व्यसनों के कारण समाज आडंबर मुक्त नहीं होता, लेकिन जो लोग व्यसन मुक्त होते है, उनका परिवार और समाज सदैव प्रगतिशील रहता है। शांति का्रंति संघ में व्यसन मुक्त रहना गर्व की बात है। आरंभ में उपाध्याय प्रवर श्री जितेशमुनिजी मसा ने संघ के इतिहास प्रकाश डाला। श्री धेर्यमुनिजी मसा ने भी संबोधित किया। संचालन हर्षित कांठेड ने किया।




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