(रतलाम)पत्रिका पर्यावरण डाइजेस्ट पर मिली पीएचडी उपाधि
- 13-Jun-25 12:00 AM
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शिक्षक मंच ने किया डॉक्टर पुरोहित का सम्मानयह 39 वर्षों की तपस्या का परिणाम है - डॉक्टर पुरोहितरतलाम, आरएनएस, 13, जून। आज से 39 वर्ष पूर्व 1986-87 में जब पर्यावरण डाइजेस्ट का प्रकाशन हुआ था तब यह नहीं सोचा था कि यह राष्ट्रव्यापी पर्यावरण जागरण के लिए एक राष्ट्रीय संदेश का कार्य करेगी और केंद्रीय विश्वविद्यालय जैसी संस्थाएं इसे शोध प्रबंध के लिए उपयुक्त समझते हुए नवीन पीढ़ी के लिए पर्यावरण जैसे विषय को समझने के लिए उत्कृष्ट संसाधन के रूप में स्वीकार करेगी।उपरोक्त विचार प्रसिद्ध पर्यावरणविद साहित्यकार डॉ. खुशहाल सिंह पुरोहित द्वारा संपादित पत्रिका पर्यावरण डाइजेस्ट पर बोध गया केंद्रीय विश्वविद्यालय द्वारा पीएचडी उपाधि प्रदान करने पर शिक्षक सांस्कृतिक संगठन द्वारा डॉ. पुरोहित का सम्मान करने पर प्रति उत्तर में आपने व्यक्त किये।आपने कहा कि तीन दशक पूर्व जब पर्यावरण जैसे विषयों पर अधिक चर्चाएं नहीं होती थी लोगों में जागृति का अभाव था, पेड़ पौधे की रक्षा के प्रति किसी की रुचि नहीं होती थी तब पर्यावरण डाइजेस्ट एक उम्मीद की किरण बनकर लोगों तक पहुंची थी, जिसे आम जनता के साथ-साथ बुद्धिजीवी और सरकार ने भी स्वीकार किया, आईगेट वर्षों के अपने संपादकीय अनुभव को साझा करते हुए श्री पुरोहित ने कहा कि आज पूरा विश्व पर्यावरण के प्रति जागरूक हुआ है। चुकी संपूर्ण मानव जाति पर संकट गहरा रहा है आने वाले दिनों मैं स्थिति और भी गंभीर होगी। क्योंकि प्राकृतिक संतुलन दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है, आज भी जिस रफ्तार से कार्य होना चाहिए वहां नहीं हो पा रहा है और पूरी दुनिया के समक्ष अपने अस्तित्व को लेकर गंभीर चिंतन प्रकट हुआ है। जिसके लिए देश-विदेश के प्रमुख लोगों को चिंतन करना आवश्यक हो गया है। आपने पर्यावरण डाइजेस्ट पत्रिका के बारे में बताते हुए कहा कि 40 वर्ष की इसकी लंबी यात्रा बहुत कुछ बयां करती है कि किसी गंभीर विषय को लेकर सामूहिक चिंतन और उसका निराकरण कैसे किया जा सकता है। पत्रिका में आलेखित लेख तथा तथ्यात्मक संख्यात्मक जानकारी के माध्यम से वर्णित डाटा आंकड़े सरकार के लिए उपयोगी सिद्ध होते थे किसी के आधार पर पर्यावरण मंत्रालय और सरकार के कई कार्यक्रमों को अमली जामा पहनाया जाता रहा है एवं पत्रिका की सबसे बड़ी उपलब्धि कहीं जा सकती है। कई राज्यों की सरकारों में पत्रिका को राजकीय पत्रिका का दर्जा देते हुए इसके महत्व को प्रतिपादित किया है और उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों की सरकारों ने इसके लिए मुझे सम्मानित करते हुए मेरा गौरव बढ़ाया है। यह सम्मान मेरा नहीं अभी तो इस मालवा की माटी का सम्मान है। रतलाम की धरती का सम्मान है। मेरे 45 वर्षों के पत्रकारिता जीवन का सम्मान है मैं इसके लिए सदैव रतलाम का ऋणी रहूंगा।आरंभ में संस्था के अध्यक्ष दिनेश शर्मा ने डॉक्टर पुरोहित का स्वागत करते हुए कहा कि यह हमारा सौभाग्य है कि पर्यावरण जैसे विषय को समझने के लिए पर्यावरण डाइजेस्ट जैसी पत्रिका हमारे बीच प्रति माह उपलब्ध रहती है जो आने वाली पीढ़ी के लिए किसी पाठशाला का कार्य करती है। कृष्ण चंद्र ठाकुर, मिथिलेश मिश्रा, राधेश्याम तोगड़े, गोपाल जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। रमेश उपाध्याय, श्याम सुंदर भाटी, दिलीप वर्मा आदि उपस्थित थे। डॉक्टर पुरोहित को संस्था द्वारा शाल श्रीफल देकर सम्मानित किया गया।
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