(रतलाम)रतलाम पुलिस की मनमानी : नाबालिग की मां ने अब किशोर न्याय बोर्ड में लगाई गुहार

  • 20-Jun-25 12:00 AM

महिला, औद्योगिक क्षेत्र थाना और अभियोजन विभाग आज करेगा बोर्ड के समक्ष जांच रिपोर्ट प्रस्तुत रतलाम, आरएनएस, 20, जून। शहर के एक 15 वर्षीय नाबालिग के खिलाफ नियमों को हवा कर दर्ज किए गए रेप के बहुचर्चित मामले में पुलिस द्वारा सुनवाई नहीं करने पर मां ने किशोर न्याय बोर्ड का दरवाजा खटखटाया है। सीनियर एडवोकेट अमित कुमार पांचाल के माध्यम से बोर्ड के समक्ष आवेदन प्रस्तुत कर मां ने नाबालिग के साथ हुए यौन शोषण को लेकर 26 वर्षीय महिला के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग की है। आवेदन में यह भी निवेदन किया गया है कि महिला थाना द्वारा उनके पुत्र के खिलाफ दर्ज रिपोर्ट झूठी है और संबंधित अधिकारियों द्वारा की गई लापरवाही को लेकर उनके खिलाफ भी आपराधिक प्रकरण दर्ज किया जाए। मामले की गंभीरता पर बोर्ड के प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट ने रतलाम के महिला थाना, औद्योगिक क्षेत्र थाना और अभियोजन विभाग को 20 जून 2025 को जांच प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।बता दें कि 17 अप्रैल 2025 को रतलाम महिला थाना में विरियाखेड़ी निवासी एक 26 वर्षीय महिला जो कि स्वयं दो बच्चों की मां है। उसके द्वारा रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 15 मार्च 2025 से 16 अप्रैल 2025 के बीच उसके साथ 15 वर्षीय नाबालिग ने रेप किया है। शिकायत पर जांच और वरिष्ठ अधिकारियों के संज्ञान में मामला लाए बगैर रतलाम के महिला थाना ने 15 वर्षीय नाबालिग के खिलाफ रेप सहित अन्य विभिन्न धाराओं में प्रकरण दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर बाल संप्रेक्षण गृह भेज दिया था। नाबालिग की मां ने अपने बेटे के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ रतलाम एसपी अमित कुमार, विशेष किशोर पुलिस इकाई और बाल कल्याण समिति को शिकायत कर बताया था कि उनके नाबालिग बेटे के साथ महिला ने यौन शोषण कर झूठा प्रकरण दर्ज कराया है। इस दौरान नाबालिग की मां ने महिला पुलिस थाना प्रभारी और स्टॉफ पर लेनदेन कर झूठी कार्रवाई का संगीन आरोप भी लगाया। इसके बावजूद अब तक महिला थाना द्वारा उनकी शिकायत पर उक्त महिला के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई। आरोप लगाया गया है कि नाबालिग पर रेप की धाराओं में मुकदमा दर्ज करने वाली संबंधित महिला उसके पति और परिवार के अन्य सदस्यों को बचाने के लिए नाबालिग पर झूठे और गंभीर आरोप लगाए हैं।मां की शिकायत पर नहीं गंभीर जिम्मेदारबालक की मां का कहना है कि उन्होंने कई बार पुलिस व संबंधित संस्थाओं से संपर्क कर शिकायत दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन उन्हें केवल कागजी कार्रवाई तक सीमित रखा गया और कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई। इस कारण अब किशोर न्याय अधिनियम के तहत प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट, किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष आवेदन प्रस्तुत किया गया है। मामले की गंभीरता पर किशोर न्याय बोर्ड ने संज्ञान लेकर सुनवाई की जा रही है।




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