(रतलाम)सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में प्रवचन

  • 04-Dec-23 12:00 AM

संयमशीलता, समर्पणशीलता, स्नेहशीलता, सवंदेनशीलता और सहनशीलता से ही रजोहरण की प्राप्ति होती है- आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा.रतलाम, आरएनएस, 4 दिसंबर। घर हो या समुदाय सब प्रेम से चलता है। जो आप अपने लिए चाहते हो, उसी की चाह दूसरे के लिए भी हमारे मन में होना चाहिए। जिसमें संयमशीलता, समर्पणशीलता, स्नेहशीलता, संवेदनशीलता और सहनशीलता का भाव होता है, उसे ही रजोहरण की प्राप्ती होती है। यह बात आचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. ने सैलाना वालों की हवेली मोहन टॉकीज में शरण मेरा रजोहरण विषय पर चल रहे प्रवचन में कही। उन्होने कहा कि जहां समर्पण नहीं होता, वहां चारित्र भी नहीं होता है।प्रवचन के दौरान आचार्य श्री के शिष्य मुनिराज ज्ञानबोधि विजयजी म.सा. ने रजोहरण के लिए पांच बातें - स्वतंत्रता, सद क्षेत्र, सद मित्र, संवेदना और सद मार्ग को आवश्यक बताया। इनके मिलने से ही हमे रजोहरण की प्राप्ती होगी। लोहे की कील को यदि पानी में डालते है तो वह डूब जाती है लेकिन उसे यदि लकड़ी के टुकड़े में ठोक दिया जाए और फिर पानी में डाले तो वह डूबती नहीं तैरती है। स्वतंत्रता भी लोहे की कील जैसी है और सद मित्र हमें पार कर देते है।मुनिराज ने कहा कि यदि आप एक सदगुरू को पकड़ लेंगे तो आपका काम हो जाएगा। वहीं जिसके पास हदय नहीं हो वह चारित्र के मार्ग पर यदि आ जाए तब भी कोई मतलब नहीं होता है। चारित्र के मार्ग पर सिर्फ वह जा सकते है, जिनमें संवेदना होती है। इसी प्रकार सद क्षेत्र का होना भी अत्यावश्यक है। ये पांच बातें भीतर आने पर ही हम चारित्र के मार्ग पर चल सकते है। -मुमुक्षु निखिल कुमार का तीन दिवसीय संयम ग्रहण उत्सव शुरू होगाआचार्य श्री विजय कुलबोधि सूरीश्वरजी म.सा. की निश्रा में 5 दिसंबर, मंगलवार से मुमुक्षु निखिल कुमार जैन के तीन दिवसीय संयम ग्रहण उत्सव की शुरूआत होगी। कार्यक्रम सूरजपोल ग्राउंड, जैन कालोनी में होगा। उत्सव के पहले दिन प्रात: 9 बजे उपकरण वंदनावलि, गीत संगीत के विवेचन के साथ अद्भूत कार्यक्रम होगा। इसके पश्चात सिर्फ महिलाओं के लिए दोपहर 2.30 बजे मोहन टाकीज में वस्त्र वधामणां, रात्रि 8 बजे सूरजपोल ग्राउंड विदाई समारोह होगा,इसमें बोरीवली मुंबई के संगीतकार जैनम वारैया और अहमदाबाद के भाविक मेहता, संवेदना की प्रस्तुति देंगे। दूसरे दिन 6 दिसंबर को सुबह 8 बजे वर्षीदान यात्रा निकलेगी। रात 8 बजे शासन स्पर्शना का आयोजन होगा। इसी दिन मुनिराज ज्ञानबोधि विजयजी म.सा. का 25 वें संयम वर्ष में प्रवेश होगा। तीसरे दिन 7 दिसंबर को मुख्य आयोजन सुबह 8.45 बजे दीक्षा विधि के साथ शुरू होगा। दीक्षा सम्पन्न होने के बाद साधर्मिक भक्ति का आयोजन किया जाएगा।श्री देवसूर तपागच्छ चारथुई जैन श्रीसंघ गुजराती उपाश्रय, श्री ऋषभदेवजी केशरीमलजी जैन श्वेताम्बर तीर्थ पेढ़ी द्वारा अधिक से अधिक संख्या में धर्मालुजनों से उपस्थित रहने का आव्हान किया है।




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