(रांची)राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस एवं बाल अधिकार कांग्रेस में डीपीएस बोकारो का दबदबा
- 04-Dec-23 12:00 AM
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-एनसीएससी सीनियर वर्ग में एक और सीआरसी जूनियर में दो टीमें नेशनल के लिए चयनितराष्ट्रीय प्रतिस्पद्र्धा के लिए चयनित विद्यार्थियों के साथ प्राचार्य व शिक्षकबोकारो 4 दिसंबर (आरएनएस)। दिल्ली पब्लिक स्कूल (डीपीएस) बोकारो के विद्यार्थियों ने एक बार फिर अपनी वैज्ञानिक सोच एवं समाजोपयोगी रचनात्मकता का कुशल प्रदर्शन किया है। 31वीं राष्ट्रीय बाल विज्ञान कांग्रेस (एनसीएससी) एवं 26वीं बाल अधिकार कांग्रेस (सीआरसी) में विद्यालय की कुल तीन टीमों ने राज्य स्तर पर शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपनी जगह पक्की कर ली है। राष्ट्रीय विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं संचार परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार की ओर से प्रायोजित तथा साइंस फॉर सोसाइटी, झारखंड द्वारा पुंदाग (रांची) में आयोजित राज्य स्तरीय एनसीएससी के सीनियर वर्ग में विद्यालय की एक तथा सीआरसी में दो टीमें चुनी गईं। एनसीएससी (सीनियर) में चयनित टीम में सर्वज्ञ सिंह (कक्षा 10) एवं ऋषित शांडिल्य (कक्षा 9) शामिल रहे। तकनीक की मदद से मवेशियों की बीमारी का पता लगाकर सही समय पर उनका उपचार सुनिश्चित करने की प्रणाली नंदनीÓ इजाद करने के लिए उनका चयन किया गया। प्रतियोगिता में उनकी प्रस्तुति बेहतरीन रही। वहीं, सीआरसी में आयुषी शर्मा (कक्षा 7) व ट्विंकल सिन्हा (कक्षा 6) की टीम ने स्कूली छात्राओं के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली आधारित सैनिटरी पैड बॉक्स बनाकर राष्ट्रीय प्रतिस्पद्र्धा के लिए अपनी जगह बनाई। सीआरसी की चयनित दूसरी टीम में कक्षा 7 की अवनी अनन्या पांडेय और तितिक्षा सिंह शामिल रहीं। इन्होंने स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए पर्यावरण संरक्षण, शमन और अनुकूलन के उपाय व ऊर्जा साक्षरता का अधिकार संबंधी परियोजना प्रस्तुत की। इसका उद्देश्य विद्यालय में एक विविध और समग्र पाठ्यक्रम की रूपरेखा तैयार करना, सर्वेक्षण और ऊर्जा संरक्षण क्लब का निर्माण आदि शामिल है, ताकि बच्चे अपने ग्रह के भविष्य के संरक्षक के तौर पर एक स्थायी दुनिया बनाने का भागीदार बन सकें।विद्यालय के प्राचार्य डॉ. ए एस गंगवार ने उक्त सफल विद्यार्थियों को बधाई देते हुए राष्ट्रीय स्तर के लिए उन्हें अपनी शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि डीपीएस बोकारो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ-साथ अपने छात्र-छात्राओं की वैज्ञानिक व रचनात्मक प्रतिभा को निखारने का हर अवसर प्रदान करता है। इसी का परिणाम है कि शिक्षकों के कुशल मार्गदर्शन में बच्चे विभिन्न मंचों व स्तरों पर अपनी प्रतिभा का परचम लहरा रहे हैं। राज्यस्तरीय उक्त मूल्यांकन कार्यशाला में झारखंड के चयनित 14 जिलों से लगभग 200 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
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