(रांची)समेकित कृषि प्रणाली एकीकृत खेती की आधुनिक तकनीक : डा. रंजय

  • 29-Nov-23 12:00 AM

चतरा/रांची 29 नवंबर (आरएनएस)। कृषि विज्ञान केन्द्र में बुधवार को उद्यान आधारित समेकित कृषि प्रणाली विषय पर किसानों का पांच दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ। प्रशिक्षण में गिरिडीह जिला के आत्मा द्वारा चयनित 30 किसानों ने भाग लिया। प्रशिक्षण की शुभारंभ करते हुए वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डा. रंजय कुमार सिंह ने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली प्रति हेक्टेयर भूमि से अधिक उत्पादन प्राप्त करने का एक अवसर प्रदान करता है। सीमित भूमि पर फसलों का विविधिकरण एवं कृषि के साथ अन्य घटकों का समावेश करने से प्रति ईकाई भूमि की उत्पादकता बढ़ती है। उन्होंने कहा कि समेकित कृषि प्रणाली एकीकृत खेती की आधुनिक तकनीक है। इस तकनीक में खेती के साथ-साथ बागवानी, पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाता है। इससे किसानों की आमदनी बढ़ाने में काफी मदद मिलती है। समेकित कृषि में खेती के सभी घटकों को शामिल किया जाता है। इससे संबंधित विस्तृत जानकारी दी जाएगी।वैज्ञानिक धर्मा उरांव ने किसानों को बताया कि भारत में लगभग 85 प्रतिशत किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी में आते हैं। कृषि जोत का आकार लगातार छोटा होता जा रहा है। देश में ज्यादातर किसान फसल आधारित एकल फसल प्रणाली पर निर्भर हैं। लगातार एकल फसल प्रणाली अपनाने के कारण, मृदा उर्वरता एवं उत्पादकता में गिरावट, कारक उत्पादकता में कमी, असंतुलित खाद्य आहार से पोषण की समस्या, कृषि बेरोजगारी का बढऩा, मृदा स्वास्थ्य का श्ह्रास, पर्यावरण प्रदूषण में वृद्धि और कीट रोगों की बढ़ती समस्या के साथ-साथ फसल उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हुई है। विनोद कुमार पांडेय ने संबोधित करते हुए कहा कि इस तकनीक में किसान अपने मुख्य फसल के साथ-साथ मुर्गी पालन, मत्स्य पालन, मधुमक्खी पालन, रेशम, सब्जी, फल, मशरूम की खेती को एक साथ एक ही जमीन पर करते हैं। इसमें एक घटक दूसरे घटक के पुरक होते हैं। जिससे किसान अपने एक फसल पर निर्भरता कम कर अथवा उसके घाटे की संभावनाओं को भी कम कर सकते हैं। लगातार बढ़ती जनसंख्या और कम होती प्राकृतिक संसाधनों के कारण किसानों को भी अपने तरीके और तकनीक दोनों में बदलाव करने की आवश्यकता है। प्रशिक्षण को सफल बनाने में शिवेन्द्र कुमार दूबे, मो. जुनैद आलम, उपेन्द्र कुमार सिंह, अभिषेक घोष, अभिजित घोष अहम भूमिका निभा रहे है।




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