(रांची)सीसीएल कथारा अंतर्गत सवांग कांटा घर पर सर्वे ऑफ की सूचना चिपकाया गया
- 14-Nov-23 12:00 AM
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बेरमो/रांची 14 नवंबर (आरएनएस)। सीसीएल कथारा अंतर्गत सवांग कांटा घर पर सर्वे ऑफ की सूचना चिपकाने के बाद कोयला व्यापार से जुड़े ट्रक ऑनर, डीओ होल्डर, आंदोलनकारी और विस्थापित आंदोलन के मूड में हैं. इसको लेकर 13 नवंबर को स्वांग कंटाघर के निकट एक बैठक की गई और प्रबंधन के रवैया के खिलाफ आंदोलन की चेतावनी दी. इस संबंध में लोकल सेल संघर्ष मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष कृष्ण निषाद ने कहा कि स्वांग कांटाघर से सैकड़ों लोग कोयला के व्यापार से जुड़े हुए हैं. यहां से सभी लोगों की रोजी-रोटी चलती है. 2012 में जब स्वांग गोविंदपुर लोकल सेल शुरू हुई, तब से स्वांग में काटा घर स्थापित है और यहां कोयला वजन करने का काम चल रहा था. लेकिन अचानक सीसीएल प्रबंधन ने स्वांग कांटा घर में सर्वे ऑफ का एक सूचना चिपका दिया है, जिस पर किसी तरह का आधिकारिक आदेश नहीं है. इसके साथ ही कांटा घर में जो लोड सेल लगा रहता है, उसे खोलकर दूसरे कांटा घर में लगा दिया गया है.इस संबंध में जब प्रबंधन से पूछा गया तो बताया कि लोड सेल की दूसरे स्थान पर जरूरत थी. इसलिए खोल कर उसे वहां लगाया गया है. हालांकि कोयला व्यापार से जुड़े लोगों का मानना है कि प्रबंधन की यह गहरी चाल है और एक साजिश के तहत इस तरह की कार्रवाई की जा रही है. यहां के लोग इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे. प्रबंधन के खिलाफ आंदोलन करेंगे. 14 नवंबर को स्मार पत्र दिया जायेगा और सतत आंदोलन किया जाएगा. जिसमें धरना-प्रदर्शन, चक्का जाम शामिल है. बैठक में चंद्रदीप पासवान, मुन्ना सिंह, गौतम कुमार, बिट्टू प्रसाद, उमा सिंह, राजेश जायसवाल, मुबारक अंसारी, राजेश भारती, सुमंजय सिंह, मृत्युंजय सिंह, अंसारी मोइन खान, देवरंजन प्रसाद, साकेत प्रसाद, शंकर साव, बबली स्वर्णकार, मुमताज अंसारी, संदीप, सचितानंद, दुलाल मजूमदार सहित अन्य लोग शामिल थे.परियोजना पदाधिकारी ने क्या कहाइस संबंध में स्वांग गोविंदपुर परियोजना के परियोजना पदाधिकारी अनिल कुमार तिवारी ने कहा कि स्वांग कांटा घर बंद नहीं किया गया है. अभी कोयला का ऑफर नहीं आया है. जैसे ही ऑफर मिल जाएगा, प्रबंधन को कोयला वजन करने के लिए कोई परेशानी नहीं होगी. उनके पास अभी भी चार कांटा घर हैं और महज दो ढाई हजार टन का ही कोयला डिस्पैच होता है. इसलिए किसी तरह की घबराने की बात नहीं है. जब कभी भी लोड सेल की जरूरत होती है तो उसे अन्य कंटाघर में लगा दिया जाता है, ताकि काम निकाला जा सके. जैसे ही यहां इसकी जरूरत पड़ेगी तो उसे तुरंत जहां लाया जाएगा और पूर्व की भांति स्वांग कांटा घर से काम शुरू हो जाएगा. सर्वे ऑफ के संबंध में उन्होंने कहा कि 10 साल में कांटा कर सर्वे ऑफ हो जाता है यह प्रक्रिया में है. इसलिए यह कोई नई बात नहीं है.
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