(रांची)सोनाहातु एवं राहे सहित राज्य भर में आजादी के प्रथम शहीद तिलका मांझी की जयंती मनाया गया, किसान आन्दोलन के लिए किसान सभा सदस्यता अभियान चलाया गया
- 11-Feb-25 12:00 AM
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रांची 11 फरवरी (आरएनएस)। संविधान व लोकतंत्र की रक्षा आज सबसे जरूरी - सुफल महतो । दिनांक 11 फरवरी 2025 को झारखंड राज्य किसान सभा द्वारा सोनाहातु प्रखंड के जिंतू गांव एवं राहे प्रखंड के राहे एवं ठूंगरडीह गांव में आजादी के प्रथम शहीद तिलका मांझी की जयंती सम्मान पूर्वक मनाया गया, एवं झारखंड राज्य किसान सभा का सदस्यता अभियान घर घर चलाया गया। आजादी के प्रथम शहीद तिलका मांझी अमर रहे,जल, जंगल, जमीन,व खनिज संपदा की रक्षा के लिए संघर्ष तेज करों, संविधान व लोकतंत्र की रक्षा करना होगा, नफऱत और विभाजन की राजनीति नहीं चलेगा आदि नारे लग रहे थे। मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए झारखंड राज्य किसान सभा के राज्य अध्यक्ष सुफल महतो ने शहीद तिलका मांझी के जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा शहीद तिलका मांझी आजादी के आन्दोलन के प्रथम शहीद थे, जिन्होंने 1784 में अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाए थे, 11 फरवरी 1750 में जन्मे तिलका मांझी 1771 से 1784 तक अंग्रेजों के खिलाफ आदिवासीयों के प्रसिद्ध विद्रोह का नेतृत्व किया और पहाडिय़ा सरदारों के साथ संयुक्त मोर्चा बना कर रामगढ़ कैंप को अंग्रेजों से छिन लिया था,तिलका मांझी को गिरफ्तार करने के बाद उन्हें 4 घोड़ों से बांध कर भागलपुर तक घसीटा गया था, मिलों घसिटे जाने के बाद भी वह बहादुर योद्धा जीवित था,भले ही उनका शरीर खून से लतपथ था लेकिन उनका मन जल रहा था, उनकी रक्त लाल आंखें अंग्रेजों के दिलों में खौफ पैदा कर रही थी। 13 जनवरी 1785 को भागलपुर के एक चौराहे पर विशाल बरगद के पेड़ में उसे अंग्रेजो ने फांसी पर लटका दिया गया।आज़ शहीद तिलका मांझी के रास्ते ही शोषण,लूट, भ्रष्टाचार, घोटाला को मिटाया जा सकता है, नफरत के खिलाफ भाईचारा को बढ़ाया जा सकता है।जल, जंगल जमीन, खनिज संपदा कारपोरेट को सौंपने की नापाक कोशिश के खिलाफ तिलका मांझी के उलगुलान की जरूरत है।इस अवसर पर जिला किसान कौंसिल सदस्य रतन महतो,घुरन पातर, उमेश महतो,,शोभा राम महतो, पूर्ण चंद्र मुंडा जगदीश मुंडा,छुटू मुंडा, तिरलोक मुंडा, रामेश्वर मुंडा, सावित्री देवी, बुधनी देवी, के सोमा मुंडा, बिनोद साव, बासुदेव महतो दल गोबिंद महतो, ललित महंतों यादु हरिजन,कमला मुंडा, गोकुल महतो, बिपिन महंतों,मदन मुंडा,करमी देवी,रमनी देवी सहदेव हरिजन, धनंजय साव, सुषेण हजाम आदि उपस्थित थे।
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