(रांची)72 वर्षीय बुजुर्ग महिला पेंशन के लिए सात किलोमीटर पैदल चलकर बीडीओ से गुहार लगाई
- 02-Nov-23 12:00 AM
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निर्मल महाराज गोमिया/रांची 2 नवंबर (आरएनएस)। बोकारो जिला के गोमिया प्रखंड अंतर्गत सियारी गांव की आदिवासी महिला फुलमणि देवी पेंशन के लिए 15 वर्षों से दर-दर भटक रही हैं. जानकारी देते हुए 72 वर्षीय फुलमणि देवी ने बताया कि उसके पति दशरथ मांझी का 15 वर्ष पहले निधन हो गया था. दो बेटे मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं. पेंशन के लिए पंचायत प्रतिनिधि से लेकर जनता दरबार में भी आवेदन दे चुकी है. लेकिन सभी जगहों से सिर्फ निराशा ही हाथ लगी है.-उम्र के इस पड़ाव में बीडीओ से मिलने पैदल निकल पड़ी फुलमणिफुलमणि देवी 1 नवंबर को गोमिया बीडीओ से मिलने सियारी गांव के ताला टोला से करीब सुबह के 9 बजे पैदल ही निकल पड़ी. उम्र के इस पड़ाव में वृद्धा किसी तरह करीब तीन बजे गोमिया प्रखंड कार्यालय पहुंची. लेकिन बीडीओ महादेव महतो क्षेत्र भ्रमण पर निकले थे. निराश होकर वापस लौट रही थी. तभी संयोग से शुभम संदेश के प्रतिनिधि से फुलमणि की मुलाकात हो गयी. पूछने पर उसने आपबीती बतायी.सात किलोमीटर पैदल चलकर प्रखंड कार्यालय पहुंची, पर निशाना हाथ लगीबता दें कि 27 नवंबर 2021 को इसी पंचायत के डुमरी में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया था. उस कार्यक्रम में भी फुलमणि देवी ने आवेदन जमा किया था. इसके बाद भी आज तक न तो विधवा न वृद्धा पेंशन स्वीकृत हुआ. इसलिए वह स्वंय बीडीओ से मिलकर आवेदन देने के लिए सात किलोमीटर पैदल चलकर प्रखंड कार्यालय पहुंच गयी. फुलमणि बताती है कि बेटा और बहु काम करके परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन मुश्किलें बहुत है. इसलिए वह अपने लिए कोई शिकायत भी नहीं करती.पंचायत प्रतिनिधि वसरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली पर उठ रहा प्रश्नचिन्हगौरतलब है कि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार है. यह पहला प्रदेश है जहं सभी वृद्धजनों को पेंशन देने का कानून बनाया गया है, इसके बावजूद यदि जरुरतमंद आदिवासी महिला जो विधवा है और वह पंद्रह वर्षो से पेंशन के लिए भटक रही है, तो पंचायत प्रतिनिधि और सरकारी कर्मचारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिन्ह उठना लाजिमी है. बहरहाल ऐसे और भी जरुरतमंद हैं, जो सरकारी लाभ के लिए दर-दर की ठोकर खाने को विवश हैं.
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