
(रामानुजगंज) इस आईपीएस के सेवानिवृत्ति के पश्चात विदाई समारोह में हर एक की आंखें हुई नम
- 02-Apr-25 07:43 AM
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रामानुजगंज, 02 अप्रैल (आरएनएस)। रामानुजगंज 12 बटालियन के सेनानी एवं आईपीएस डी. एस. मरावी के सेवानिवृत्ति के पश्चात विदाई समारोह में बटालियन के हर एक अधिकारी एवं कर्मचारी जवानों की आंखें नम थी।उनके व्यवहार कुशलता एवं कार्यों की हर एक वक्ता ने जमकर प्रशंसा की सभी ने कहा कि वे अधिकारी के रूप में नहीं बल्कि घर के अभिभावक के रूप में बटालियन को हर एक सदस्य को लेकर चलने एवं बटालियन को आगे बढऩे का कार्य किया। 1 नवंबर 1997 तात्कालिक मध्य प्रदेश सरकार में डी.एस. मरावी के द्वारा उपपुलिस अधीक्षक के रूप में कार्य करना प्रारंभ किया। इस दौरन मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों में अपनी सेवाएं दिए जहां भी रहे उनकी एक विशिष्ट पहचान पुलिस अधिकारी के रूप में रही। तात्कालिक निर्णय क्षमता की सराहना छोटे से लेकर बड़े अधिकारियों तक ने हमेशा की। बटालियन परिसर में आयोजित विदाई समारोह के दौरान हर एक अधिकारी एवं कर्मचारी बटालियन के जवान की आंखें नम थी सभी ने कहा कि ऐसे अधिकारी बहुत ही कम देखने को मिलते है। जो हर एक के भलाई के लिए सोचते हो। श्री मरावी कठोर अनुशासन प्रिय थे एवं कार्य के प्रति बहुत ही संवेदनशील थे परंतु कभी भी किसी भी अपने अधीनस्थ कर्मचारी का अपने कलम से नुकसान नहीं पहुंचाया हमेशा गलती करने पर समझाइस एवं गलती सुधारने का मौका दिए। 12वीं बटालियन में उनके कार्यकाल के दौरान भव्य शिव मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा है, हठ निर्माण, शहीद पार्क सहित कई कार्य बटालियन के विकास में उनके द्वारा किए गए। अदम्य साहस हौसला हिम्मत के मिसाल है मरावी..... आईपीएस डी.एस. मरावी घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में भी अपनी सेवाएं दिए इस दौरान उनके अदम्य में साहस हौसला, हिम्मत को आज भी लोग याद करते है।1999 -2000 में कोंटा में एसडीओपी थे इस दौरान उनका वाहन लैंड माइंस की चपेट में आ गया जिसे तीन जवान शहीद हो गए थे। वे भी गंभीर रोग से घायल हो गए थे। वही सन 2009 से 2011 तक एडिशनल एसपी सुकमा पद रहे इस दौरान टिफिन बम के चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे स्थिति कुछ भी रही उन्होंने अपना हिम्मत टूटने नहीं दिया। दो गोली लगी उसके बाद भी हिम्मत के साथ मुसीबत से बाहर निकले....... आईपीएस डी.एस. मरावी कई बार विपरीत परिस्थिति में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में फस परंतु अपने सूझबूझ एवं साहस से उसे बाहर निकले एक बार उनका वाहन एंबुश में फंसा था वहां में नक्सलियों के द्वारा कई गोलियां चलाई गई दो जवान उसमें शहीद हो गए दो गोलियां उन्हें भी लगी अपने अदम्य साहस से वाहन को एम्बुस से बाहर निकाले।
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