(रायगढ़) जमीन विवाद में हत्या, आरोपी लेदाराम तिर्की को आजीवन कारावास की सजा

  • 01-Oct-25 02:05 AM

रायगढ़, 01 अक्टूबर (आरएनएस)। अपर सत्र न्यायाधीश अभिषेक शर्मा की अदालत ने एक सनसनीखेज हत्या के मामले में बड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी लेदाराम उर्फ लेद्दा राम तिर्की को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने आरोपी को धारा 302 भादंवि के तहत दोषी ठहराया और उसे 1000 रुपये अर्थदंड से भी दंडित किया है। इसके साथ ही मृतक के वारिसों को क्षतिपूर्ति के रूप में 1 लाख रुपये दिए जाने की अनुशंसा भी की गई है। मामला कैसे शुरू हुआ यह मामला रायगढ़ जिले के लैलूंगा थाना क्षेत्र से जुड़ा है। प्रकरण के संक्षिप्त विवरण के अनुसार, सूचनाकर्ता मसीह तिर्की ने 2 अगस्त 2022 को थाना लैलूंगा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 1 अगस्त 2022 को मृतक ईरनीयुस तिर्की और उनकी पत्नी सुकांति तिर्की को उसने अपने खेत में धान रोपाई के लिए बुलाया था। धान रोपाई का कार्य पूरा होने के बाद शाम करीब 6 बजे सभी लोग घर लौटे। रात का खाना तैयार था, जिसे परिवार के सभी सदस्यों ने मिलकर खाया। विवाद और वारदात खाने के दौरान ही रसोई में मृतक ईरनीयुस तिर्की, आरोपी लेदाराम तिर्की और उसकी पत्नी सूखनी तिर्की मौजूद थे। इसी दौरान जमीन विवाद को लेकर आरोपी लेदाराम और मृतक ईरनीयुस के बीच बहस शुरू हो गई। बहस इतनी बढ़ गई कि आरोपी ने आवेश में आकर पास में रखी धारदार टांगी से ईरनीयुस तिर्की के सिर और चेहरे पर वार कर दिया। गंभीर चोट लगने से मौके पर ही ईरनीयुस की मौत हो गई। पुलिस कार्रवाई और जांच घटना की सूचना मिलने के बाद थाना लैलूंगा पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए आरोपी लेदाराम तिर्की के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया। विवेचना पूरी कर पुलिस ने न्यायालय के समक्ष चालान प्रस्तुत किया। सुनवाई के दौरान अदालत में सभी गवाहों के बयान दर्ज कराए गए। अभियोजन पक्ष की ओर से अपर लोक अभियोजक राजेश सिंह ठाकुर ने मामले को मजबूती से रखा। न्यायालय का फैसला अपर सत्र न्यायाधीश अभिषेक शर्मा ने सभी तथ्यों, साक्ष्यों और दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आरोपी लेदाराम तिर्की को हत्या का दोषी करार दिया। अदालत ने उसे आजीवन कारावास और 1000 रुपये अर्थदंड से दंडित किया। इसके अतिरिक्त अदालत ने मृतक के वारिसों को आर्थिक सहायता प्रदान करने की अनुशंसा भी की और विधिक सेवा प्राधिकरण रायगढ़ को इस संबंध में सूचना दी। यह मामला सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं बल्कि एक चेतावनी है कि परिवार और समाज में भूमि विवाद जैसी समस्याएं किस हद तक गंभीर परिणाम ला सकती हैं। छोटे-छोटे विवाद जब बातचीत या कानून के दायरे में हल नहीं होते, तो अक्सर खून-खराबे का रूप ले लेते हैं। अदालत का यह फैसला ऐसे मामलों में न्याय की मजबूती और कानून की सख्ती का स्पष्ट उदाहरण है।
त्रिपाठी




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