(रायपुर) ईओडब्ल्यू ने पेश किया 1500 पन्नों का दूसरा पूरक चालान

  • 08-Oct-25 02:35 AM

० जेल मे बंद नवनीत तिवारी और देवेंद्र डडसेना पर गंभीर आरोप
रायपुर ०८ अक्टूबर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित कोयला घोटाला मामले में एक बार फिर बड़ी कार्रवाई हुई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो  ने बुधवार को 1500 पन्नों का दूसरा पूरक चालान रायपुर की विशेष अदालत में पेश किया है। यह चालान मुख्य रूप से नवनीत तिवारी और देवेंद्र डडसेना के खिलाफ दाखिल किया गया है। साथ ही, इसमें कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल के फरार होने का भी उल्लेख किया गया है। बता दें कि यह घोटाला पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में उजागर हुआ था और राज्य के सबसे बड़े आर्थिक घोटालों में से एक माना जाता है। इससे पूर्व, जुलाई 2024 में ईओडब्ल्यू ने इस मामले में 15 आरोपियों के खिलाफ पहला चालान पेश किया था, जिनमें आईएएस अधिकारी सौम्या चौरसिया, रानू साहू, समीर विश्नोई, संदीप कुमार नायक, और व्यवसायी सूर्यकांत तिवारी सहित कई नाम शामिल थे। इसके बाद अक्टूबर 2024 में मनीष उपाध्याय और रजनीकांत तिवारी के खिलाफ पहला पूरक चालान दाखिल किया गया था। ईओडब्ल्यू की जांच में सामने आया है कि आरोपी देवेंद्र डडसेना, कांग्रेस कोषाध्यक्ष रामगोपाल अग्रवाल का निजी सहायक था और अवैध कोल लेवी से प्राप्त नकद राशि का वास्तविक रिसीवर और मध्यस्थ के रूप में कार्य करता था। जांच में यह भी पाया गया कि कांग्रेस भवन, रायपुर में भवन नाम से दर्ज खातों में हुई प्रविष्टियाँ उसी के माध्यम से किए गए अवैध वित्तीय लेनदेन की पुष्टि करती हैं। ईओडब्ल्यू के अनुसार, डडसेना पूरे कोल स्कैम की वित्तीय कड़ी रहा कि वह न केवल रकम प्राप्त करता था, बल्कि आगे अन्य संलिप्त व्यक्तियों तक धन पहुंचाने की जिम्मेदारी भी निभाता था। जांच में उसके द्वारा करोड़ों रुपये की रिसीविंग, कस्टडी और ट्रांसफर में सक्रिय भूमिका साबित हुई है। दूसरे आरोपी नवनीत तिवारी को ईओडब्ल्यू ने कोल लेवी वसूली सिंडिकेट का सक्रिय सदस्य बताया है। वह सूर्यकांत तिवारी के निर्देश पर रायगढ़ जिले में कोयला व्यवसायियों और ट्रांसपोर्टरों से भय दिखाकर करोड़ों रुपये की वसूली करता था। वह यह अवैध रकम नियमित रूप से रायगढ़ से रायपुर में स्थित सिंडिकेट सदस्यों तक पहुंचाता था। इसके अलावा, नवनीत तिवारी को सूर्यकांत तिवारी द्वारा अर्जित अवैध संपत्तियों का बेनामीदार भी पाया गया है। ईओडब्ल्यू के पास इसके समर्थन में डिजिटल, दस्तावेज़ी और मौखिक साक्ष्य मौजूद हैं।
त्रिपाठी




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