
(रायपुर) छत्तीसगढ़ के अनिमेष कुजूर ने रचा इतिहास, 100 मीटर दौड़ में नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड, यूरोप में बजाया भारत का डंका
- 09-Jul-25 10:20 AM
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रायपुर, 09 जुलाई (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के छोटे से आदिवासी गांव घुइतांगर से निकलकर यूरोपीय एथलेटिक ट्रैक तक का सफर तय करने वाले अनिमेष कुजूर इन दिनों देशभर में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।
5 जुलाई को ग्रीस के वारी शहर में आयोजित ड्रोमिया इंटरनेशनल स्प्रिंट मीट में उन्होंने 100 मीटर की दौड़ सिर्फ 10.18 सेकंड में पूरी कर नया भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया।
हालांकि इस रेस में वह तीसरे स्थान पर रहे, लेकिन उनका यह प्रदर्शन भारतीय एथलेटिक्स के इतिहास में मील का पत्थर बन गया। इस रेस में उनसे आगे दक्षिण अफ्रीका के बेंजामिन रिचर्डसन (10.01 सेकंड) और ओमान के अली अल बलूशी (10.12 सेकंड) रहे।
इससे पहले 100 मीटर दौड़ का राष्ट्रीय रिकॉर्ड गुरइंदरबीर सिंह के नाम था, जिसे अनिमेष ने पीछे छोड़ दिया।
आदिवासी पृष्ठभूमि से अंतरराष्ट्रीय स्तर तक
अनिमेष के माता-पिता दोनों ही छत्तीसगढ़ पुलिस में डीएसपी पद पर कार्यरत हैं। उनके परिजन बताते हैं कि उन्हें बेटे की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर गर्व है और यह तो सिर्फ शुरुआत है।
सैनिक स्कूल अंबिकापुर से 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले अनिमेष का शुरू से सपना सेना में भर्ती होने का था। 2020 में बारहवीं के बाद उन्होंने फौज की तैयारी शुरू की थी, लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था।
एक दिन फुटबॉल खेलते समय दोस्तों के कहने पर उन्होंने एक ओपन 100 मीटर रेस में भाग लिया, जहां उनके प्रदर्शन ने सबको चौंका दिया। यहीं से उनकी जि़ंदगी ने करवट ली और रेसिंग उनके जीवन का हिस्सा बन गई।
प्रतिभा पर कोच की नजर, फिर शुरू हुई असली दौड़
रिलायंस फाउंडेशन एथलेटिक्स हाई परफॉर्मेंस सेंटर, ओडिशा में एक प्रतियोगिता के दौरान जब ब्रिटिश कोच मार्टिन ओवेंस की नजर अनिमेष पर पड़ी, तो उन्होंने तुरंत उन्हें ट्रेनिंग के लिए आमंत्रित किया।
कोच मार्टिन बताते हैं, अनिमेष की गति शानदार थी, लेकिन तकनीक पर काम करना जरूरी था। उसने जिस मेहनत और जुनून के साथ ट्रेनिंग ली, उसका नतीजा आज पूरी दुनिया देख रही है।
यूरोप में बना नया रिकॉर्ड
पिछले साल स्पेन में 100 मीटर की दौड़ उन्होंने 10.27 सेकंड में पूरी की थी, जो उस समय उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।
इस साल उन्होंने जेनेवा मीट में 200 मीटर की दौड़ 20.27 सेकंड में पूरी की, जो तकनीकी रूप से अब तक किसी भारतीय द्वारा दौड़ी गई सबसे तेज़ 200 मीटर दौड़ है। हालांकि तेज हवा के चलते यह रिकॉर्ड आधिकारिक रूप से दर्ज नहीं किया जा सका।
अभी बहुत कुछ सीखना है – अनिमेष
अपनी उपलब्धियों के बावजूद अनिमेष खुद को अभी भी सीखने की प्रक्रिया में मानते हैं। उनका कहना है,
इस बार यूरोप जाकर ट्रेनिंग करने और इंटरनेशनल एथलीट्स से मिलने के बाद समझ में आया कि मुझे अब भी बहुत कुछ सीखना है। मैं पूरी जान लगाकर दौड़ूंगा।
अनिमेष की कहानी सिर्फ एक रिकॉर्ड तोडऩे की नहीं, बल्कि सपनों, मेहनत और संकल्प की मिसाल है। एक छोटे से गांव से निकलकर उन्होंने यह साबित कर दिया कि प्रतिभा को पंख मिले तो वो आसमान भी छोटा पड़ सकता है। आने वाले समय में अनिमेष भारत को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और भी गौरवान्वित कर सकते हैं।
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