(रायपुर) छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 22 आबकारी अधिकारी निलंबित

  • 10-Jul-25 11:41 AM

0-3200 करोड़ के घोटाले की जांच में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई


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रायपुर, 10 जुलाई (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए आबकारी विभाग के 22 अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग द्वारा की गई है। सोमवार, 7 जुलाई को आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (श्वह्रङ्ख) ने विशेष न्यायालय में करीब 2300 पन्नों का पूरक चालान दाखिल किया था, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया है।


जांच के दौरान सामने आए तथ्यों के आधार पर इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। इन सभी पर बी-पार्ट शराब की अवैध बिक्री और घोटाले में संलिप्तता के आरोप हैं।
प्तप्तप्त निलंबित किए गए 22 आबकारी अधिकारियों के नाम:
1. जनार्दन कौरव – सहायक जिला आबकारी अधिकारी
2. अनिमेष नेताम – उपायुक्त आबकारी
3. विजय सेन शर्मा – उपायुक्त आबकारी
4. अरविंद कुमार पाटले – उपायुक्त आबकारी
5. प्रमोद कुमार नेताम – सहायक आयुक्त आबकारी
6. रामकृष्ण मिश्रा – सहायक आयुक्त आबकारी
7. विकास कुमार गोस्वामी – सहायक आयुक्त आबकारी
8. इकबाल खान – जिला आबकारी अधिकारी
9. नितिन खंडुजा – सहायक जिला आबकारी अधिकारी
10. नवीन प्रताप सिंह तोमर – सहायक आयुक्त आबकारी
11. मंजुश्री कसेर – सहायक आबकारी अधिकारी
12. सौरभ बख्शी – सहायक आयुक्त आबकारी
13. दिनकर वासनिक – सहायक आयुक्त आबकारी
14. मोहित कुमार जायसवाल – जिला आबकारी अधिकारी
15. नीतू नोतानी ठाकुर – उपायुक्त आबकारी
16. गरीबपाल सिंह दर्दी – जिला आबकारी अधिकारी
17. नोहर सिंह ठाकुर – उपायुक्त आबकारी
18. सोनल नेताम – सहायक आयुक्त आबकारी
19. प्रकाश पाल – सहायक आयुक्त आबकारी
20. अलेख राम सिदार – सहायक आयुक्त आबकारी
21. आशीष कोसम – सहायक आयुक्त आबकारी
22. राजेश जायसवाल – सहायक आयुक्त आबकारी

इन अधिकारियों के निलंबन से स्पष्ट है कि राज्य सरकार इस मामले में कड़ी कार्रवाई के मूड में है। इससे पहले इस घोटाले में कुल 29 अधिकारियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था, जिनमें से कोई भी अब तक कोर्ट में पेश नहीं हुआ। अब कोर्ट ने सभी को 20 अगस्त तक पेश होने का अंतिम मौका दिया है।

इस मामले में अब तक 13 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है और श्वह्रङ्ख/्रष्टक्च द्वारा आगे की जांच जारी है। घोटाले की राशि अब 3200 करोड़ रुपये से अधिक आंकी जा रही है, जो राज्य के इतिहास का सबसे बड़ा वित्तीय घोटाला बताया जा रहा है।
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