(रायपुर) जल जीवन मिशन जिलों को आबंटित राज्यांश अचानक वापस लेने का फरमान, ठेकेदारों को पढ़े भुगतान के लाले

  • 21-Sep-25 08:10 AM

0 कई जिलों के खंड कार्यालयों से राशि वापस
रायपुर, 21 सितंबर (आरएनएस)। छतीसगढ़ में जल जीवन मिशन के कामकाज में कोई बेहतर सुधार नहीं हो पाया एक तरफ भुगतान नहीं होने से फील्ड में खराब के हालात बने हुए हैं। वहीं कुछ पहले जारी किए गए राज्यांश में चुनिंदा एजेंसियों को भुगतान के बाद अचानक खंड कार्यालयों से राशि वापस ली जा है। हर घर नल से जल के प्रमाणन के बावजूद कई तकनीकी और दस्तावेजी आपति लगाकर भुगतान रोके जाने की भी शिकायतें हैं। अब इस मामले में फिर दिल्ली तक शिकायत की तैयारी चल रही है। जल जीवन मिशन का कामकाज पटरी

वित्त के आदेश के उलट भुगतान
राज्यांश की राशि जारी करने के दौरान वित्त विभाग के इसे लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश थे। इसमें साफ किया गया था कि सिंगल विलेज योजनाओं के मामले में भुगतान किया जाए। इधर जिलों को आबंटन के बाद मल्टी विलेज वाले समूह जलप्रदाय योजना के तहत चहेती चुनिंदा एजेंसियों को ही भुगतान किया गया। अब राशि वापस लेने के बाद छोटी एजेंसियों के सामने संकट की स्थिति आ गई है।
क्राईटेरिया में फंस रहा पेंच
भुगतान को लेकर तय किए गए अलग-अलग क्राईटेरिया की वजह से भी पेंच फंस रहा है। वहीं निर्माण एजेंसियों को पीछे हटना पड़ रहा है। संबंधित कई दस्तावेज उपलब्ध कराने में दिक्कतें हैं। निर्माण एजेंसियों का दावा है कि काम पूरा होने के बावजूद राशि नहीं मिलने से अन्य कार्यों को आगे बढ़ाने में दिक्कत होगी।
371 करोड़ का राज्यांश हुआ था जारी
सूत्रों के मुताबिक केन्द्रांश नहीं मिलने के बावजूद कुछ माह पहले ही लगभग 371 करोड़ का राज्यांश जारी किया गया था। सह राशि सीधे तौर पर जिलों को आवंटित की गई थी। ऐसी चर्चा है कि कुछ प्रभावशाली और चहेती एजेंसियों को ही भुगतान किया गया। इसके बाद विभाग ने अचानक जिलों को आबंटित राशि वापस लेने का फरमान जारी कर दिया। इसके बाद सभी खंड कार्यालयों से आबंटित राशि वापस ली जा रही है। रायपुर, सारंगढ़ बिलाईगढ़, गरियाबंद, धमतरी, बेमेतरा, महासमुंद समेत कई जिलों से राशि वापस हो गई है। विभागीय सूत्र बताते हैं कि लगभग सभी जिलों से राशि वापस ली जा रही है। इसके चलते फिर असंतोष नजर आने लगा है। भुगतान के बिना ही राशि वापस लेने के बाद अब संबंधित एजेंसियां भी लामबंद हो रही हैं। राशि वापस लेने के मामले में अफ सर भी कोई ठोस वजह नह बता पा रहे हैं। इसके बावजूद विभाग में इस बात की जमकर चर्चा है कि आने वाले दिनों में कार्यपालन अभियंता स्तर के अफसरों की नई पदस्थापना होगी। इसके बाद नए सिरे से समीक्षा कर राशि जारी की जाएगी।
साव ने नहीं दिया समय
ठेकेदार संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बीरेश शुक्ला ने आठ दिन पहले उपमुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मुलाकात का समय मांगा था, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं आया। इस अनदेखी से प्रदेश भर के ठेकेदारों में भारी नाराजगी है। उनका कहना है कि भुगतान रुकने से मजदूरों की रोजी-रोटी पर असर पड़ रहा है और विकास कार्य अधर में लटक गए हैं।
संकट में जल जीवन मिशन  
स्थिति इतनी गंभीर है कि केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन भी भ्रष्टाचार और अधिकारियों की मनमानी के कारण लगभग ठप हो गया है। जिलों को आवंटित राशि वापस ली जा रही है और भुगतान प्रक्रिया में जानबूझकर देरी की जा रही है। छोटे ठेकेदारों का आरोप है कि भ्रष्ट अधिकारी जानबूझकर उनका भुगतान रोक रहे हैं, ताकि बाहर के बड़े ठेकेदारों को फायदा मिले। इसका सीधा असर 200-300 छोटे ठेकेदारों पर पड़ा है, जिनके पास काम जारी रखने के लिए पैसे नहीं बचे हैं।
एसएस




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