
(रायपुर) नान घोटाले में फंसे पूर्व आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला ने किया कोर्ट में सरेंडर
- 19-Sep-25 02:04 AM
- 0
- 0
रायपुर,19 सितबंर (आरएनएस)। राज्य के बहुचर्चित नान घोटाले में फंसे पूर्व आईएएस अधिकारी डॉ. आलोक शुक्ला ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट से अग्रिम जमानत याचिका खारिज होने के बाद, गुरुवार सुबह ईडी की टीम ने उनके भिलाई स्थित निवास पर छापा मारा था। इसके बाद डॉ. शुक्ला ने ईडी की विशेष अदालत के सामने सरेंडर कर दिया।
बता दें कि इस घोटाले में डॉ. शुक्ला के साथ एक और वरिष्ठ अधिकारी अनिल टुटेजा भी आरोपी बनाए गये हैं। पहले दोनों को हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत मिली थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने यह जमानत रद्द कर दी। कोर्ट ने आदेश दिया है कि दोनों अधिकारियों को पहले दो हफ्ते ईडी की हिरासत में और फिर दो हफ्ते न्यायिक हिरासत में रहना होगा। इसके बाद ही वे नियमित जमानत के लिए आवेदन कर सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि इन अफसरों ने 2015 में दर्ज घोटाले और ईडी की जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी।
क्या है नान घोटालानान घोटाला 2015 में सामने आया था, जब एसीबी/ईओडब्ल्यू ने नागरिक आपूर्ति निगम (नान) के कई दफ्तरों पर एक साथ छापे मारे थे। इस दौरान लगभग 3.64 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए थे। साथ ही, जो चावल और नमक के सैंपल लिए गए, वे खराब क्वालिटी के थे और खाने के लायक नहीं थे। आरोप है कि राइस मिलों से घटिया चावल लेकर करोड़ों की रिश्वत ली गई। भंडारण और ट्रांसपोर्टेशन में भी भ्रष्टाचार हुआ। शुरू में 27 लोगों पर केस दर्ज हुआ, जिनमें निगम के चेयरमैन और एमडी भी बाद में शामिल हुए। बाद में दो आईएएस अधिकारियों आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को भी आरोपी बनाया गया। डॉ. आलोक शुक्ला उस वक्त खाद्य विभाग के सचिव थे और 2018 में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल हुई थी। 2019 में उन्हें अग्रिम जमानत मिल गई थी और फिर कांग्रेस सरकार में उन्हें अहम पद दिए गए। आरोप है कि इन पदों पर रहते हुए दोनों अफसरों ने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की। ईडी ने इस केस में पूर्व महाधिवक्ता सतीश चंद्र वर्मा पर भी मामला दर्ज किया था, जिन्हें बाद में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई।
0000
Related Articles
Comments
- No Comments...