
(रायपुर) बढ़ती अराजकता स्वर्णिम छत्तीसगढ़ की राह में सबसे बड़ी बाधा
- 24-Sep-25 01:49 AM
- 0
- 0
० -स्वर्णिम छत्तीसगढ़ के लिए साहित्यकारों और विद्वानों ने किया चिंतन बैठक
रायपुर, 24 सितम्बर (आरएनएस)। राजधानी रायपुर में थिंक आईएएस संस्थान में स्वयंसेवी सामाजिक संगठन पीपला वेलफेयर फाउंडेशन छत्तीसगढ़ के संयोजन से साहित्यकारों और विद्वानों की बैठक-सह विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्रदेश के प्रतिष्ठित साहित्यकारों, विद्वानों और पत्रकारों ने सम्मिलित होकर स्वर्णिम छत्तीसगढ़ बनाने की दिशा में विचार-विमर्श किया। गोष्ठी में समाज के समक्ष खड़ी विभिन्न चुनौतियों और लगातार बढ़ रही अराजकता पर चिंता जताई गई और उनके समाधान के उपाय सुझाए गए। इस दौरान उपस्थित वक्ताओं और साहित्यकारों का सम्मान भी किया गया। समाज के समक्ष व्याप्त चुनौतियाँ वरिष्ठ साहित्यकार माणिक विश्वकर्मा ने कहा कि आज समाज नशावृत्ति, अनियंत्रित जनसंख्या, जल संकट, वायुप्रदूषण, इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट और ध्वनि प्रदूषण जैसी अनेक गंभीर समस्याओं से जूझ रहा है। यदि इन पर समय रहते कठोर कदम नहीं उठाए गए, तो ये समस्याएँ विकास की राह में बड़ी रुकावट बन जाएंगी और स्वर्णिम छत्तीसगढ़ का सपना अधूरा रह जाएगा। नेत्र विशेषज्ञ डॉ. मनीष एस.श्रीवास्तव ने बच्चों और समाज में मोबाइल एवं तकनीक के बढ़ते उपयोग पर गंभीर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मोबाइल का अत्यधिक प्रयोग बच्चों में पढ़ाई और सामाजिक व्यवहार- दोनों पर प्रतिकूल असर डाल रहा है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है। भाषाविद् डॉ. चितरंजन कर ने बदलते समय में बच्चों के नैतिक मूल्यों, शिक्षा और संस्कार पर चिंता जताई। शिक्षा और सामाजिक मूल्यों की भूमिका पर शिक्षाविद् एवं थिंक आईएएस के डायरेक्टर मुरली मनोहर देवांगन ने वर्तमान शिक्षा प्रणाली पर विचार रखते हुए कहा कि शिक्षा के बिना किसी राज्य या समाज का विकास संभव नहीं है। साहित्यकारों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव बैठक में वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा और वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा ने भी अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि साहित्य और पत्रकारिता समाज का आईना हैं/ इन्हीं के माध्यम से लोगों में सकारात्मक सोच और बदलाव का संदेश फैलाया जा सकता है। इसी कड़ी में वरिष्ठ साहित्यकार अरविंद मिश्रा, सुखनवर हुसैन, नगेन्द्र वर्मा,जेके सिंगरौल,संजीव ठाकुर,इन्द्रदेव यदु तथा अन्य उपस्थित विद्वानों ने भी अपने-अपने सुझाव दिए और कहा कि शिक्षा, संस्कार, संस्कृति एवं सामाजिक समरसता को मजबूत किए बिना स्वर्णिम छत्तीसगढ़ का निर्माण असंभव है। त्रिपाठी
Related Articles
Comments
- No Comments...