
(रायपुर) बाघिन -1बिजली की मौत पर सियासत गरमाई
- 18-Oct-25 02:30 AM
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० नेता प्रतिपक्ष महंत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर की जंगल सफारी के अफसरों पर कार्रवाई की मांग, कहा- बीजेपी सरकार में वन विभाग पूरी तरह विफल
रायपुर, 18 अक्टूबर (आरएनएस)। नवा रायपुर स्थित जंगल सफारी में हाल ही में एक बाघिन 'बिजलीÓ की मौत के बाद मामला अब राजनीतिक रंग लेने लगा है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने इस घटना को लेकर राज्यपाल को पत्र लिखा है। उन्होंने जंगल सफारी के उच्च अधिकारियों और चिकित्सकों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए कठोर कार्रवाई की मांग की है। महंत ने अपने पत्र में लिखा है कि एशिया के सबसे बड़े मानव निर्मित जंगल सफारी में वन्यजीवों की देखभाल और इलाज की व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्थित है। उन्होंने कहा कि सही समय पर उचित इलाज न मिलने के कारण युवा बाघिन बिजली की अकाल मृत्यु हो गई, जो प्रदेश के लिए एक अपूर्णनीय क्षति है। महंत ने अपने पत्र में लिखा कि बाघिन बिजली ने फरवरी 2025 में दो शावकों को जन्म दिया था, जिनमें से एक मृत पैदा हुआ और दूसरा शावक भी कुछ दिनों बाद अस्वस्थ होकर मर गया। गर्भवस्था के दौरान ही बाघिन की तबीयत खराब रहने लगी थी, लेकिन मुख्य वाइल्डलाइफ वार्डन और जंगल सफारी के संचालक की उपेक्षा और अनुभवहीन चिकित्सकों के कारण उसका इलाज सही तरीके से नहीं हो सका। उन्होंने आरोप लगाया कि जब बाघिन की हालत बिगड़ती चली गई और उसने खाना-पीना तक छोड़ दिया, तब जाकर उसे इलाज के लिए गुजरात के जामनगर स्थित वनतारा रिसर्च इंस्टिट्यूट भेजा गया। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, और वहां इलाज के दौरान बाघिन की मौत हो गई। महंत ने अपने पत्र में आगे लिखा कि वनतारा रिसर्च इंस्टिट्यूट के डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि जंगल सफारी के डॉक्टर बाघिन की बीमारी को पहचान ही नहीं पाए और गलत इलाज करते रहे। उन्होंने कहा कि अगर समय रहते बाघिन को वनतारा भेज दिया जाता, तो शायद उसकी जान बचाई जा सकती थी। जंगल सफारी के डॉक्टरों ने यह भी माना कि सफारी में सोनोग्राफी मशीन होने के बावजूद उसे चलाने वाला तकनीशियन मौजूद नहीं था। जिसके कारण बाघिन की जांच नहीं हो सकी और बीमारी का सही कारण समय पर पता नहीं चल पाया। महंत ने राज्यपाल से आग्रह किया है कि बाघिन की मौत के लिए जिम्मेदार मुख्य वाइल्डलाइफ वार्डन, जंगल सफारी के डायरेक्टर और संबंधित चिकित्सक तीनों पर तत्काल कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि इन अधिकारियों को या तो निलंबित किया जाए या कार्य से पृथक किया जाए, ताकि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकी जा सके। साथ ही उन्होंने यह भी मांग की कि जंगल सफारी में व्याप्त कुप्रबंधन को सुधारने और रिक्त पशु चिकित्सक पदों की भर्ती जल्द से जल्द करने के लिए वन विभाग को निर्देशित किया जाए।
त्रिपाठी
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