(रायपुर) मां अंगारमोती की महिमा का बखान किया पं. धीरेंद्र शास्त्री जी ने

  • 01-Oct-25 11:21 AM

0 वायरल वीडियो में सुनाया चमत्कार 7 4 अक्टूबर से रायपुर में होगी हनुमंत कथा
रायपुर, 01 अक्टूबर (आरएनएस)। बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री एक बार फिर चर्चा में हैं। 4 अक्टूबर से राजधानी रायपुर के गुढिय़ारी क्षेत्र में होने जा रही हनुमंत कथा से पहले उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है, जिसमें वे छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शक्तिपीठ मां अंगारमोती के चमत्कारों का उल्लेख करते नजर आ रहे हैं।



वीडियो में पं. शास्त्री बताते हैं कि जब वे लगभग 15 वर्ष के थे, तब एक बार धमतरी जिले के गंगरेल बांध के पास स्थित मां अंगारमोती के दर्शन के लिए पहुंचे थे। दर्शन के बाद उन्हें चाय पीने की इच्छा हुई, लेकिन सभी दुकानें बंद थीं। इस बीच उन्हें एक वृद्धा दिखाई दी, जिसने पहले उन्हें चना दिया और फिर चाय की इच्छा जाहिर करने पर तुरंत गर्म चाय लाकर दी। शास्त्री ने कहा, ऐसी स्वादिष्ट चाय मैंने जीवन में पहले कभी नहीं पी थी। लेकिन जब वे बाद में कई बार मां अंगारमोती के दर्शन करने गए, तो वह वृद्धा फिर कभी नहीं दिखीं। शास्त्री इसे एक दिव्य चमत्कार मानते हैं और इसे मां की कृपा का प्रमाण बताते हैं।
मां अंगारमोती की दिव्यता और मान्यता
धमतरी जिले में स्थित गंगरेल डैम की सुरम्य वादियों के बीच विराजमान हैं मां अंगारमोती, जो छत्तीसगढ़ ही नहीं, देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं। इन्हें 52 गांवों की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। कहा जाता है कि यहां आने वाला कोई भी भक्त खाली हाथ नहीं लौटता।
यह मंदिर सिर्फ धार्मिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक आस्था का भी प्रतीक है। खास बात यह है कि यहां महिलाएं बिना पल्लू ओढ़े पूजा-अर्चना करती हैं, जो देश के बाकी देवी मंदिरों से इसे अलग बनाता है। मान्यता है कि मां के दरबार में सच्ची भावना से की गई हर प्रार्थना जरूर स्वीकार होती है।
मां अंगारमोती का पौराणिक संदर्भ
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मां अंगारमोती, महान तपस्वी अंगारा ऋषि की पुत्री थीं। ऋषि के तप से प्रभावित होकर देवी शक्ति ने उनकी कन्या के रूप में जन्म लिया था। तभी से इस स्थान को सिद्धपीठ माना गया है।
संतान प्राप्ति की आस्था
मां अंगारमोती के मंदिर में विशेष रूप से निसंतान महिलाएं दर्शन व पूजा के लिए आती हैं। यह आस्था है कि मां की कृपा से उन्हें शीघ्र ही संतान सुख की प्राप्ति होती है। यहां हर साल कई महिलाएं संतान प्राप्ति की मन्नत पूरी होने पर विशेष अनुष्ठान कराती हैं।
दिवाली से पहले लगता है भव्य मेला
यहां हर साल दिवाली से पहले वाले शुक्रवार को विशाल मेला लगता है, जिसमें दूर-दराज से श्रद्धालु पहुंचते हैं। इस मेले में ना केवल धार्मिक आयोजन होते हैं, बल्कि स्थानीय संस्कृति, लोककला और पारंपरिक व्यंजनों की भी झलक देखने को मिलती है।
0




Related Articles

Comments
  • No Comments...

Leave a Comment