(रायपुर) शिक्षक पात्रता परीक्षा (टी.ई.टी.) के लिए पुनर्विचार याचिका दायर करें छत्तीसगढ़ सरकार : शंकर साहू

  • 19-Sep-25 02:36 AM

रायपुर, 19 सितम्बर (आरएनएस)। 01 सितंबर 2025 को सर्वोच्च न्यायालय में हुई सुनवाई में दिए गए आदेश ने देशभर के शिक्षकों के बीच चिंता और असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है जिससे कक्षा पहली से आठवीं तक पढऩे वाले शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट)को अनिवार्य कर दिया गया है इस आदेश के बाद छत्तीसगढ़ में भी शिक्षक समुदाय में उहापोह की स्थिति निर्मित हो गई है। शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) से संबंधित सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षकों की नौकरी व पदोन्नति पर खतरा मंडरा रहा है, इसे देखते हुए छत्तीसगढ़ सरकार, उत्तर प्रदेश सरकार की तरह सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर करना चाहिए। छत्तीसगढ़ प्रदेश शासकीय शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष- शंकर साहू, प्रदेश महिला प्रकोष्ठ संयोजक- श्रीमती हीना कश्यप, कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष- नरेंद्र देवदास, संजय मेहर, दीपक प्रकाश, प्रदेश संरक्षक- अनिल रामटेक, प्रेमचंद साहू, प्रदेश उपाध्यक्ष- प्रेमचंद सोनवानी, आनंद साहू, भुनेश्वरी सहारे, प्रदेश प्रवक्ता- हेमलता बढ़ई, प्रदेश महामंत्री संगठन- जितेंद्र साहू, प्रदेश सचिव- अशोक कुमार तेता, प्रदेश कोषाध्यक्ष- तेजराम कामडिय़ा,प्रदेश महासचिव- भूपेंद्र साहू, रामाधार नायक, प्रदेश मीडिया प्रभारी- रमेश साहू एवं उनकी टीम के टेक्निकल साथियों ने सलाह दिया कि उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु और केरल की सरकारों की तरह छत्तीसगढ़ सरकार को भी पुनर्विचार याचिका तैयार करने की घोषणा की जाने चाहिए क्योंकि यह फैसला 2011 से पहले नियुक्त हुए राज्य के लगभग 70000 से अधिक शिक्षकों को प्रभावित करेगा और यदि यह फैसला छत्तीसगढ़ में लागू होता है तो बड़े पैमाने पर छत्तीसगढ़ के शिक्षकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा एवं उनके नौकरी के साथ-साथ विद्यार्थियों की अध्यापन व्यवस्था भी अस्थिर हो जाएगी। वर्तमान में युक्तियुक्तकरण होने के कारण विद्यालय में वैसे भी शिक्षकों की संख्या कम हो चुकी है जिससे शिक्षा के स्तर में भी गिरावट रहा है। 23 अगस्त 2010 की एन.सी.टी.ई. अधिसूचना में यह स्पष्ट उल्लेख है की टेट का प्रावधान आर.टी.ई. अधिनियम 2009 के लागू तारीख से पहले नियुक्त शिक्षकों पर नहीं होगा। यह शिक्षकों के अधिकारों का उल्लंघन है। शिक्षक संगठनों ने सरकार से यह अपील किया है कि वह तत्काल पुनर्विचार याचिका लगाए ताकि शिक्षक मानसिक दबाव में काम कर रहे हैं, उससे बाहर आकर अपना शिक्षकीय कार्य बेहतर ढंग से करते हुए बच्चों को अध्यापन कार्य करवा सके। साथ ही प्रदेश में जिस प्रकार से पूर्व में जब भर्ती हुए तो जो शिक्षक बी.एड. नही किए थे, उन्हें ब्रिज कोर्स 20 दिनों में कराया गया था व नान डी. एड./ बी. एड. शिक्षकों को विभागीय डी. एड. कराया गया था, ठीक उसी प्रकार से शासन को टेट कराया जान चाहिए ताकि राज्य शासन के शिक्षक तनाव मुक्त होकर शिक्षक पात्रता परीक्षा दे सके। छत्तीसगढ़ प्रदेश शासकीय शिक्षक फेडरेशन के प्रदेश अध्यक्ष- शंकर साहू ने प्रदेश के समस्त शिक्षक संगठनों से आह्वान किया है कि शिक्षक हित में एकजुट होकर शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) के विषय पर चर्चा कर उसकी समाधान हेतु प्रयास किया जाना चाहिए। प्रदेश अध्यक्ष- शंकर साहू ने कहा कि यह कहना आसान है कि शिक्षक टेट परीक्षा निकाल लेंगे, लेकिन यदि कोई शिक्षक परीक्षा में असफल रहा तो इससे अन्य आवश्यक तनाव पैदा होगा और इसका पूरे प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था पर सीधा असर पड़ेगा।




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