(रायपुर) समाज में वृद्धा आश्रमों की बढ़ती संख्या चिंतनीय : अरूण शुक्ला
- 01-Oct-23 07:30 AM
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0-जिस संतान को उंगली पकड़कर चलना सिखाया, उसी ने माता-पिता को भेजा वृद्धा आश्रम
रायपुर,01 अक्टूबर (आरएनएस)। अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर आज आरएनएस प्रतिनिधि ने सेलटैक्स के कालोनी के वयोवृद्ध नागरिक अरूण शुक्ला से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान शुक्ला ने बताया कि समाज में एवं देश में वृद्धा आश्रमों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। यह समाज के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि माता-पिता बच्चों को बिना लाभ-हानि के पोषण करते हैं। जिन बच्चों को माता-पिता चलना सिखाते हैं, वही वृद्धा अवस्था में अपनी पत्नी अथवा दामाद के कहने में आकर माता-पिता को छोडऩे में विलंब नहीं करते। वृद्धा आश्रम माना में एवं अन्य वृद्धा आश्रमों में रहने वाले अनेक बुजुर्गों ने बताया कि उनकी संतान समृद्ध हैं, बावजूद इसके उन्हीं के बनाए मकान से उन्हें निकालकर वृद्धा आश्रम में रहने के लिए मजबूर किया गया है। पंंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय की भाषा विज्ञान की प्रमुख डॉ. शैल शर्मा ने सोशल मीडिया में कटाक्ष करते हुए कहा कि जितना अच्छा स्टेट्स फे सबुक एवं वाट्सअप में लोग डालते हैं, उतना अच्छा ध्यान बुजुर्गों का रखते तो आज देश में वृद्धा आश्रमों की जरूरत नहीं पड़ती। डॉ. शर्मा ने कहा कि वृद्धों का सम्मान विशेषकर माता-पिता का सम्मान संतान के लिए करना जरूरी है। जिन घरों में मां बाप खिलखिलाकर हंसते है, सही मायने में जीते जी स्वर्ग का सुख इसे ही भोगना कहते हैं। डॉ. शर्मा के अनुसार जिन घरों में बुजुर्गों का आशीर्वाद संतान को मिलता है, सही मायने में फूलों की खुशबू वहीं रहती है।
शर्मा
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