(रायपुर/बिलासपुर) छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने दुष्कर्म मामले में युवक को किया बरी, पीडि़ता की गवाही में विरोधाभास पर दी टिप्पणी

  • 13-Sep-25 05:28 AM


रायपुर/बिलासपुर, 13 सितम्बर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने महासमुंद जिले के एक युवक को 2005 में दर्ज दुष्कर्म और धमकी के मामले में बरी कर दिया है। न्यायमूर्ति सचिन सिंह राजपूत की एकलपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि आरोपी ने अपराध किया था। न्यायालय ने इस आधार पर आरोपी को संदेह का लाभ देते हुए दोषमुक्त कर दिया।
हाईकोर्ट ने कहा कि पीडि़ता की गवाही में कई गंभीर विसंगतियां पाई गईं। एफआईआर में जहां कई बार दुष्कर्म की बात कही गई थी, वहीं अदालत में केवल एक ही घटना का जिक्र किया गया। मेडिकल जांच में न गर्भपात के संकेत मिले और न ही यह प्रमाणित हो पाया कि गर्भवती होना कथित अपराध का ही परिणाम था। इसके साथ ही शिकायत दर्ज कराने में करीब सात महीने की देरी हुई, जिसका कोई ठोस कारण नहीं बताया गया।
पीडि़ता और आरोपी के परिवार के बीच पुरानी रंजिश भी सामने आई, जिसे अदालत ने मामले में महत्वपूर्ण माना। कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में अगर संदेह बना रहता है, तो आरोपी को उसका लाभ मिलना ाहिए।
घटना का विवरण
पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, बसना थाना क्षेत्र की एक 18 वर्षीय युवती, जो दोनों पैरों से पोलियो पीडि़त थी, जनवरी 2005 से पहले अपने घर में अकेली थी। उसी दौरान करिया उर्फ मालसिंह बिझवार नामक युवक ने उसके घर में घुसकर जबरदस्ती संबंध बनाए और उसे डराया-धमकाया। पीडि़ता के अनुसार, इसके बाद भी वह जब-जब अकेली होती, आरोपी उसका यौन शोषण करता रहा, जिससे वह गर्भवती हो गई। करीब सात महीने बाद, 10 जनवरी 2005 को युवती ने अपने पिता को पूरी बात बताई और फिर थाने में शिकायत दर्ज कराई। डॉक्टरों की जांच में पीडि़ता को लगभग 20 सप्ताह की गर्भवती पाया गया। आरोपी की भी मेडिकल जांच हुई, जिसमें उसे यौन संबंध बनाने में सक्षम बताया गया।
निचली अदालत का फैसला और हाईकोर्ट का निर्णय:
प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, महासमुंद ने 9 सितंबर 2005 को करिया उर्फ मालसिंह को भारतीय दंड संहिता की धारा 376 (दुष्कर्म) में 7 साल की सश्रम कैद और 500 रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी, जबकि धारा 506-बी (आपराधिक धमकी) के तहत 3 साल की सजा दी थी। हालांकि, हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के इस निर्णय को खारिज करते हुए आरोपी को सभी आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि आरोपी की जमानत की शर्तें भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 481 के तहत छह महीने तक प्रभावी रहेंगी।
बंछोर
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