(रायपुर/बिलासपुर) हाईकोर्ट ने करंट से दो मासूमों की मौत पर लिया स्वत: संज्ञान, राज्य सरकार से मांगा जवाब, आंगनबाड़ी केंद्रों की सुरक्षा पर भी सख्त निर्देश
- 15-Sep-25 06:04 AM
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रायपुर/बिलासपुर, 15 सितम्बर (आरएनएस)। छत्तीसगढ़ में करंट लगने से दो मासूम बच्चों की दर्दनाक मौत के मामलों को लेकर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। शनिवार को अवकाश के दिन भी छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बी.डी. गुरु शामिल थे, ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका के रूप में मामले की सुनवाई की। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए स्पष्ट कार्ययोजना (रोडमैप) तैयार की जाए। साथ ही मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया गया है। अगली सुनवाई 22 सितंबर को होगी।
हाईकोर्ट के संज्ञान में दो घटनाएं आईं— पहली, गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले के करगीकला गांव में एक 6 वर्षीय बच्चा खेत के पास खेलते समय करंट की चपेट में आ गया और उसकी मौके पर ही मौत हो गई। दूसरी, कोंडागांव जिले में ढाई साल की बच्ची महेश्वरी यादव की करंट लगने से मौत हो गई। कोर्ट ने इन घटनाओं पर चिंता जताते हुए कहा कि खेतों की सुरक्षा के लिए लगाए जा रहे विद्युत बाड़ अब जानलेवा बनते जा रहे हैं। ये न केवल इंसानों के लिए, बल्कि मवेशियों और जंगली जानवरों के लिए भी गंभीर खतरा बन चुके हैं, खासकर बरसात के मौसम में जब खेतों और आसपास के इलाकों में पानी भर जाता है। हाईकोर्ट की इस सख्ती के बाद राज्य प्रशासन भी हरकत में आया है। महाधिवक्ता प्रफुल्ल एन भारत ने तुरंत मुख्य सचिव को पत्र भेजकर पूरी जानकारी दी। महिला एवं बाल विकास विभाग ने भी तत्परता दिखाते हुए आंगनबाड़ी केंद्रों की सुरक्षा को लेकर जिलों के कलेक्टरों और संबंधित अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी किए हैं। विभाग के संचालक पी.एस. एल्मा ने सभी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं, पर्यवेक्षकों, परियोजना अधिकारियों और जिला कार्यक्रम अधिकारियों को केंद्रों का गहन निरीक्षण कर सुरक्षा उपायों को मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि 3 से 6 वर्ष के बच्चे नियमित रूप से आंगनबाड़ी में आते हैं और उनके माता-पिता इन्हें सुरक्षा के भरोसे छोड़ते हैं, ऐसे में किसी भी प्रकार की लापरवाही गंभीर मानी जाएगी।
बंछोर
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