(रुड़की)किसानों को खुब लुभा रहा मकख्न ग्रास

  • 22-Oct-23 12:00 AM

रुड़की,22 अक्टूबर (आरएनएस)। पशुओं के शीतकालीन हरे चारे के रूप में उगाई जाने वाली परंपरागत घास की अपेक्षा हरी घास की नई प्रजाति मक्खन ग्रास पशुपालको को काफी लुभा रही है। घास की विशेषता है कि इस पर कीटों का प्रकोप कम होता है। पशुपालक पशुओं के शीतकालीन हरे चारे के लिए बरसीम की खेती करत रहे हैं। कई दशकों से जिले में बरसीम की खेती ही ज्यादा प्रचलित थी। यह घास भी काफी सॉफ्ट होती है और पशु इसे काफी चाह कर खाते हैं। हरे चारे से पशुओं के दुग्ध उत्पादन में भी बढ़ोतरी होती है। लेकिन अब हरे चारे के लिए इससे भी बेहतर प्रजाति इजाद हो गई है। किसान नीरज कुमार ने बताया कि मक्खन ग्रास के परिणाम बरसीम से काफी अच्छे प्राप्त हुए हैं। पशु इस फसल के चारे को बड़े चाव से खाते है। फसल बीज विक्रेता आजाद सिंह ने बताया कि इस बार मक्खन ग्रास की डिमांड काफी बढ़ गई है। मक्खन घास की खासियत यह है कि इसे कम पानी में भी उगाया जा सकता है और इस घास के अंदर काफी प्रोटीन भी होता है। जिससे पशुओं का दूध उत्पादन बढ़ता है। किसान विजेंद्र सिंह, राजेश कुमार आदि ने बताया कि बरसीम की अपेक्षा मक्खन ग्रास पर कीटों का प्रभाव कम होता है। फसल की एक बार बुवाई करने के बाद इसे कई बार काटा जा सकता है।




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