(लखनऊ)उत्तर प्रदेश में नगरीय निकायों का जनसंख्या आधारित नई श्रेणियों में वर्गीकरण, प्रशासनिक सुधारों को मिली मंजूरी

  • 27-Sep-25 12:00 AM

लखनऊ,27 सितंबर (आरएनएस)। उत्तर प्रदेश की कैबिनेट बैठक में नगरीय निकायों को जनसंख्या के आधार पर नई श्रेणियों में वर्गीकृत करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया। नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री ए. के. शर्मा ने बताया कि इस निर्णय का उद्देश्य नगरीय क्षेत्रों में बढ़ती जनसंख्या को ध्यान में रखते हुए नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण जनसुविधा और सेवाएं उपलब्ध कराना है। इस कदम से प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता बढ़ेगी और विकास योजनाओं का क्रियान्वयन अधिक प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा।नए वर्गीकरण के अनुसार 20 लाख से अधिक जनसंख्या वाले नगर निगम—लखनऊ, कानपुर नगर, गाजियाबाद, आगरा, वाराणसी और प्रयागराज—को प्रथम श्रेणी में रखा गया है। 10 लाख से अधिक और 20 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम—मेरठ, गोरखपुर, मुरादाबाद, बरेली, अलीगढ़, मथुरा–वृंदावन और अयोध्या—द्वितीय श्रेणी में शामिल किए गए हैं। वहीं, 10 लाख से कम जनसंख्या वाले नगर निगम—झांसी, सहारनपुर, फिरोजाबाद और शाहजहांपुर—को तृतीय श्रेणी में रखा गया है। मथुरा–वृंदावन और अयोध्या में आने वाली फ्लोटिंग जनसंख्या को देखते हुए इन्हें श्रेणी 2 में रखा गया है।नगर पालिका परिषदों के लिए भी नई श्रेणियां बनाई गई हैं। तीन लाख से अधिक जनसंख्या वाली नगर पालिकाओं को प्रथम श्रेणी, जिला मुख्यालय में स्थित नगर पालिकाओं को द्वितीय श्रेणी और शेष सभी नगर पालिकाओं को तृतीय श्रेणी में वर्गीकृत किया गया है।मंत्री ए. के. शर्मा ने बताया कि प्रदेश के नगरों को वैश्विक स्वरूप देने और नगरीय जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए पहले भी कई योजनाएं शुरू की गई हैं। इनमें दैनिक सफाई, शहर का सौंदर्यीकरण, वैश्विक नगर योजना, सीएम ग्रिड योजना, स्टॉर्म वाटर योजना, उपवन योजना और नए निकायों की स्थापना शामिल हैं। इसके साथ ही विशेष सामाजिक समूहों के लिए वृद्ध शेल्टर होम, बच्चों की आंगनवाड़ी की मरम्मत, खिलाडिय़ों और आवारा कुत्तों के लिए योजनाएं भी चलाई गई हैं।बढ़ते शहरीकरण और नगरीय निकायों की संख्या को देखते हुए प्रशासनिक ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए लगभग एक वर्ष की विस्तृत योजना तैयार की गई, जिसे मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में संपन्न हुई मंत्रिपरिषद की बैठक में मंजूरी मिली।नई व्यवस्था के तहत उत्तर प्रदेश के 762 नगरीय निकायों की भौगोलिक, सामाजिक और कर्मियों की दृष्टि से पूरी तरह से रचना की गई है। इसमें 17 नगर निगमों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। निगमों में 3 से 8 जोन बनाए जाएंगे ताकि नागरिकों को सामान्य कामकाज के लिए मुख्यालय न आना पड़े। राज्य की 200 नगरपालिकाओं को भी तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है।मानव संसाधन की दृष्टि से भी बड़े सुधार किए गए हैं। नए वर्गीकरण के अनुसार नगर विकास विभाग का केंद्रीय मानव बल बढ़कर 6686 होगा, जो पहले 3085 था। इसके साथ ही पर्यावरण और नियोजन जैसी नई सेवाओं को जोड़ा गया है और कर्मियों की सेवा शर्तें व भर्ती मानदंड आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप बनाए गए हैं।मंत्री ए. के. शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के दूरदर्शी नेतृत्व और संकल्प के कारण ही यह ऐतिहासिक कदम संभव हो सका है। इस वर्गीकरण से नगरीय निकायों के आकार और जनसंख्या के अनुरूप योजनाओं एवं संसाधनों का वितरण और अधिक सुचारू एवं प्रभावी ढंग से किया जा सकेगा।




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