(लखनऊ)उत्तर प्रदेश में पोषण माह के अवसर पर पोषण पाठशालाÓÓ का आयोजन
- 14-Oct-25 12:00 AM
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लखनऊ 14 अक्टूबर (आरएनएस )। पोषण माह के अवसर पर उत्तर प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग (आईसीडीएस) द्वारा पोषण पाठशालाÓÓ का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य बच्चों और किशोरों में बढ़ते मोटापे और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों की रोकथाम हेतु संतुलित आहार और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देना था।अपर मुख्य सचिव, महिला एवं बाल विकास विभाग, श्रीमती लीना जौहरी ने कहा कि बच्चों में बढ़ता मोटापा एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती बनता जा रहा है। उन्होंने जनपद स्तरीय अधिकारियों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और अभिभावकों से आग्रह किया कि वे बच्चों की भोजन आदतों पर विशेष ध्यान दें और उन्हें संतुलित, विविध और पौष्टिक आहार के महत्व से परिचित कराएँ। श्रीमती जौहरी ने बताया कि परिवार ही बच्चों के स्वस्थ भोजन व्यवहार का पहला विद्यालय है, इसलिए माता-पिता को स्वयं आदर्श प्रस्तुत करते हुए बच्चों को सही आहार और जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए।आईसीडीएस निदेशक, श्रीमती सरनीत कौर ब्रोका ने कहा कि पोषण पाठशालाÓÓ का केंद्र बिंदु स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहार का प्रचार-प्रसार है। उन्होंने राष्ट्रीय सर्वेक्षणों और कार्यक्रम आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया कि बच्चों में मोटापे की प्रवृत्ति बढ़ रही है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों पर प्रभाव डालती है। उन्होंने सुझाव दिया कि जिला स्तर पर ऐसे जागरूकता कार्यक्रम नियमित रूप से आयोजित किए जाएँ।कार्यक्रम में वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य (एसजीपीजीआईएमएस, लखनऊ) ने स्वस्थ जीवनशैली और संतुलित आहारÓÓ विषय पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि जीवन के प्रथम 1000 दिन बच्चों के विकास का सुनहरा अवसर हैं, जबकि किशोरावस्था जीवन का दूसरा सुनहरा अवसर है। सही आहार और स्वस्थ जीवनशैली भविष्य की सेहत और उत्पादकता निर्धारित करती है।डॉ. भट्टाचार्य ने अस्वास्थ्यकर खानपान, जंक फूड, मीठे पेय पदार्थ, नींद की कमी और शारीरिक निष्क्रियता के कारण बच्चों और किशोरों में मोटापा, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और हृदय रोग जैसी समस्याओं के बढऩे की चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि जैसा आहार, वैसा विचार—संतुलित और पौष्टिक भोजन न केवल शरीर बल्कि मस्तिष्क की कार्यक्षमता और मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालता है।उन्होंने अभिभावकों और आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं से आग्रह किया कि वे बच्चों को संतुलित आहार, पर्याप्त नींद, नियमित शारीरिक गतिविधि और स्क्रीन समय में संयम जैसी आदतें अपनाने के लिए प्रेरित करें। डॉ. भट्टाचार्य ने कहा कि पोषण और स्वास्थ्य केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामुदायिक जिम्मेदारी है। यदि प्रत्येक परिवार पोषण के महत्व को समझे, तो एक सशक्त, स्वस्थ और खुशहाल उत्तर प्रदेश का निर्माण संभव है।कार्यक्रम में पोषण विशेषज्ञों ने संतुलित आहार, स्थानीय और मौसमी खाद्य पदार्थों के उपयोग तथा शारीरिक सक्रियता के महत्व पर जानकारी दी। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
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