(लखनऊ)उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने रूस में भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों का आयोजन किया

  • 12-Oct-25 12:00 AM

लखनऊ: 12 अक्टूबर, 2025उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य रविवार को रूस के काल्मिकिया गणराज्य की राजधानी एलिस्ता में निर्माणाधीन भगवान बुद्ध पार्क में माता ग्रीन तारा देवी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर नमन किया और मंदिर एवं पार्क निर्माण की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने करुणा और ज्ञान की अधिष्ठात्री मां ग्रीन तारा से सभी के जीवन में समृद्धि और मंगलमय ऊर्जा का आशीर्वाद प्रदान करने की प्रार्थना की।उप मुख्यमंत्री मौर्य प्रतिनिधिमंडल के साथ भगवान बुद्ध के अवशेषों को लेकर शनिवार को एलिस्ता पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। उन्होंने गोल्डन एबोड ऑफ शाक्यमुनि बुद्ध मंदिर परिसर में पवित्र पिपरहवा अवशेषों को प्रदर्शनी हेतु स्थापित किया और मीडिया से संवाद भी किया।उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध का शांति, करुणा और मानवता का संदेश पूरे विश्व के लिए प्रेरणादायक है। इस प्रदर्शनी से भारत और रूस के सांस्कृतिक और राजनैतिक रिश्तों को और मजबूती मिलेगी। आठ दिवसीय प्रदर्शनी के दौरान वरिष्ठ भारतीय भिक्षु स्थानीय श्रद्धालुओं से संवाद करेंगे और धार्मिक कार्यक्रमों का संचालन करेंगे।उप मुख्यमंत्री ने बताया कि इस दौरान शाक्य संप्रदाय के प्रमुख, परम पावन 43वें शाक्य त्रिजिऩ रिनपोछे द्वारा उपदेश और प्रवचन दिए जाएंगे। इसके अलावा, पवित्र कंजूरÓ की प्रस्तुति और बौद्ध कला के खजाने बोधिचित्तÓ की प्रदर्शनी भी आयोजित की जाएगी। यह आयोजन भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध परिसंघ, राष्ट्रीय संग्रहालय और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सहयोग से 11 से 18 अक्टूबर, 2025 तक एलिस्ता में आयोजित किया जा रहा है।उपमुख्यमंत्री मौर्य ने कहा कि पिपरहवा से प्राप्त भगवान बुद्ध के अवशेष भारत की सांस्कृतिक चेतना और वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए अत्यंत पूज्यनीय हैं। काल्मिकिया में बौद्ध धर्म केवल धर्म नहीं बल्कि संस्कृति और परंपरा का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने अपनी सभ्यता और संस्कृति का मान-सम्मान बढ़ाने के लिए वैश्विक मंच पर प्रयास किए हैं।केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि भगवान बुद्ध का संदेश करुणा, दया और शांति पर आधारित है और यह आज भी समाज को सह-अस्तित्व और मानवीय संवेदनाओं का सशक्त संदेश देता है। पिपरहवा से प्राप्त अवशेष भारत की सांस्कृतिक चेतना और वैश्विक बौद्ध समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने अपनी सांस्कृतिक धरोहर का सम्मान करते हुए पूरी दुनिया को शांति, करुणा और सह-अस्तित्व का मार्ग दिखाने की क्षमता साबित की है।




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