(लखनऊ)पुलिस स्मृति दिवस : शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों के आज भी नहीं थम रहे आंसू

  • 21-Oct-23 12:00 AM

घटना के एक साल होने को है और अभी सुविधा न मिलने का रो रहे रोनाशहीद राघवेंद्र की मां बोली बेटे का सही उपचार मिला होता तो बच जाती जानतीन शहीद पुलिसकर्मियों के परिवारों को सीएम योगी ने किया सम्मानित, दी श्रद्धाजंलि लखनऊ ,21 अक्टूबर (आरएनएस)। रिर्जव पुलिस लाइन्स में आयोजित स्मृति दिवस पर प्रदेश में शहीद हुए तीन पुलिसकर्मियों के परिजनों को सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा सम्मान जरूर मिल गया लेकिन आज भी उनका दुख दर्द कोई बांटने वाला नहीं है। शहीद परिवारों के सुख दुख में पुलिस परिवार हमेशा खड़ा रहेगा। इसकी बातें तो की जाती है लेकिन हकीकत में सच्चाई कुछ और है। आज भी शहीद पुलिस कर्मियों के माता, पिता व पत्नी के आंखों से आंसू थम नहीं रहे है। बातों-बातों में शहीद सिपाही राघवेंद्र की मां अरुणा ने कहा कि उनके बेटे को सही उपचार मिला होता तो शायद उसकी जान बच जाती। इसका उन्हें जीवन भर मलाल रहेगा। इसके अलावा अन्य शहीद परिवारों का कहना था कि सरकारी सुविधाओं का लाभ उन्हें जो मिलना चाहिए था वह नहीं मिल पा रहा है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने मंच पर शहीद हुए पुलिस कर्मियों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की और कहा कि सरकार शहीद पुलिस कर्मियों की स्मृतियों को जीवित रखेगी। उनके परिजनों के साथ सरकार हमेशा खड़ी रहेगी। यह कोई नहीं बात मुख्यमंत्री द्वारा नहीं कहीं गई। हर बार पुलिस स्मृति दिवस पर शहीद परिवार के परिजनों के प्रति कहीं जाती है लेकिन इसका कितना अनुपालन पुलिस विभाग द्वारा किया जाता है यह तो शहीद पुलिस कर्मियों के परिजनों से बातचीत करने से ही पता चल पाएगा।प्रयागरात में 24 फरवरी को अतीक अहमद गैंग के शूटरों ने सरेआम उमेश पाल की हत्या कर दी थी। कॉन्स्टेबल संदीप निषाद और राघवेंद्र सिंह विधायक राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल की सुरक्षा में तैनात थे। उमेश पाल के घर के बाहर जब हमला किया तो संदीप और राघवेंद्र ने गैंग के लोगों से मोर्चा लिया। हालांकि दोनों ही हमलावरों की गोलियों और बम की चपेट में आ गए। इसमें संदीप निषाद और राघुवेंद्र सिंह की मौत हो गई थी। मुख्यमंत्री से सम्मानित होने के बाद शहीद सिपाही राघुवेंद्र सिंह की मां अरुणा कहा की बेटे का सही इलाज नहीं हुआ था। यादि सही समय पर उपचार मिला होता तो शायद वह आज जिंदा होते। चूंकि घायल अवस्था में जब उनके बेटे राघुवेंद को स्वरूपरानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था तब इलाज गलत तरीके से किया गया। भर्ती कराने के बाद ध्यान नहीं दिया गया और 26 फरवरी को एसजीपीजीआई रेफर किया गया। जहां पर एक मार्च को उपचार के दौरान मौत हो गई। जबकि अगर तत्काल लखनऊ रेफर कर दिया गया होता तो शायद जान बच जाती। उन्होंने बताया कि उनके परिवार में तीन पीढिय़ां पुलिस में रहकर देश की सेवा करती आ रहीं हैं। उनके ससुर शिव प्रताप सिंह और पति राम सुमेर सिंह हवलदार थे। उनके पति की मौत 2014 में चुनाव ड्यूटी के दौरान हो गई थी। इसके बाद अब उनका बेटा ड्यूटी के दौरान वीरगति को प्राप्त हो गया। उनका बेटा ऐसे समय में चला गया जब हम लोग उसकी शादी की तैयारी कर रहे थे। पांच मई को शादी की तारीख भी तय हो गई थी लेकिन शादी के कुछ माह पहले शहीद हो गया। अंत समय में बेटे से फोन पर बात भी नहीं हो पायी। इसका हमेशा मलाल रहेगा। बेटे की मौत के बाद से सरकारी सुविधाओं का लाभ भी समुचित तरीके से नहीं मिल पा रहा है। अब उनकी सरकार से यही अपील है कि छोटे बेटे को पुलिस विभाग के बजाय दूसरे ऐसे विभाग में नौकरी दिलवा दें जिससे वह हमारी देखभाल कर सके। वहीं शहीद संदीप निषाद की पत्नी रीमा ने बताया कि घटना वाले दिन उनकी पति से बात नहीं हो पाई थी। चंूकि तबियत ठीक नहीं होने के कारण मायके आजमगढ़ चली गई थी। जब उसे मौत की जानकारी मिली तो ऐसे लगा जैसे पूरा परिवार गुजर गया, यह कहते-कहते उनकी आंखों से आंसू टपक आये। रीमा ने कहा कि उनकी शादी 2021 में संदीप से हुई थी। शादी के बाद साथ रहने का प्लान बना रहे थे लेकिन ईश्वर को कुछ और मंजूर था। इसके बाद जालौन में अपराधियों को पकडऩे के दौरान जान गवांने वाले शहीद भेदजीत सिंह की पत्नी सीमा से बात की गई तो वह इतनी दुखी थी कि कुछ बोल नहीं पा रही थी। कुछ कहने से पहले उनकी आंखों से आंसू टपक जा रहे थे। उनका कहना था कि उनके पति देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर्य रहते थे। इसीलिीए भारतीय सेना से 2019 में सेवानिवृत्त होने के बाद 2021 में पुलिस फोर्स ज्वाइन कर लिया। दस मई 2023 को दो अज्ञात बाइक सवार युवकों को झांसी की ओर उल्टी दिशा में जा रहे थे। सिपाही ने संदिग्ध गतिविधि देखते हुए दोनों को रोकने की कोशिश की। उनके न रूकने पर अपनी बाइक से पीछा किया। बाइक सवार बदमाशों को पकड़े जाने की आशंका पर भेदजीत सिंह की धारदार और किसी भारी हथियार से हमला बोल दिया। जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हुए और मौत हो गई थी। घटना के कुछ देर पहले उनके बेटे अंकित की बात पिता से हुई थी। उन्होंने अपने पति की जगह बेटे को पुलिस अफसर बनाकर देख की सेवा रकने की बात कहीं।आत्मा अमर अजर है, इसे कोई अग्नि जला नहीं सकती : सीएम योगीइस अवसर पर सीएम योगी ने कहा कि आत्मा अमर अजर है। इसे कोई अग्नि जला नहीं सकती है। यूपी पुलिस ने पिछले छह साल में कुंभ, त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, नगर निकाय चुनाव के साथ लोकसभा और विधानसभा का चुनाव बेहतर ढंग से सकुशल सम्पन्न कराया। कोरोना काल में भी लोगों की मदद में अच्छी भूमिका निभाई। उन्होंने कहा कि प्रयागराज और जालौन में ड्यूटी पर तैनात तीन जवान शहीद हुए हैं। पुलिस स्मृति दिवस पर उनके परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूं। सरकार शहीद पुलिस कर्मियों की स्मृतियों को जीवित रखेगी। उनके परिजनों के साथ सरकार हमेशा खड़ी रहेगी।यूपी से तीन पुलिसकर्मी हुए थे शहीद: डीजीपीपुलिस महानिदेशक विजय कुमार ने कहा कि प्रत्येक वर्ष 21 अक्टूबर को हम सभी पुलिस स्मृति दिवस के रूप में उन वीर शहीद पुलिसजनों को श्रद्धांजलि देने के लिए मनाते है।उन्होंने बताया कि एक सितंबर 2022 से 31 सितंबर 2023 तक की अवधि में संपूर्ण भारतवर्ष में कर्तव्य की वेदी पर 188 पुलिसजनों ने अपने प्राण न्योछावर किये। इसमें उत्तर प्रदेश के तीन पुलिसकर्मी क्रमश: आरक्षी संदीप निषाद, राघुवेंद्र सिंह एवं आरक्षी भेदजीत सिंह सम्मलित हैं। कर्तव्य पालन में आत्म बलिदान करने वाले इन वीरों के पराक्रम से प्रदेश का संपूर्ण पुलिस बल गौरवांवित है। इस पुनीत अवसर पर प्रदेश पुलिस बल की ओर से इन सभी वीर पुलिसजनों को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। उन्होंने शहीद पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि दी।




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