(लखनऊ)प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम: यूपी बोर्ड का होगा पुनर्गठन, हर जिले में बनेगा कार्यालय
- 16-Apr-25 12:00 AM
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लखनऊ 16 अपै्रल (आरएनएस )उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के कार्यों की समीक्षा करते हुए इसके पुनर्गठन की आवश्यकता जताई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्मÓ मंत्र के अनुरूप बोर्ड की कार्यप्रणाली को समयानुकूल ढंग से सशक्त और आधुनिक बनाने के निर्देश दिए।मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 1995 में गठित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गतिविधियों और कार्यक्षेत्र में समय के साथ व्यापक विस्तार हुआ है, जिसके दृष्टिगत इसके पुनर्गठन की आवश्यकता है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी 75 जिलों में बोर्ड के कार्यालय स्थापित किए जाएं, ताकि स्थानीय स्तर पर पर्यावरणीय समस्याओं का त्वरित समाधान सुनिश्चित हो सके।वर्तमान में राज्य में प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के 28 क्षेत्रीय कार्यालय कार्यरत हैं, जिन्हें 18 मण्डलों के अनुरूप पुनर्गठित किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि जिन मण्डलों में औद्योगिक गतिविधियां अधिक हैं, वहां एक से अधिक क्षेत्रीय कार्यालय भी बनाए जा सकते हैं।बैठक में मुख्यमंत्री ने पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए बोर्ड के अंतर्गत विशेष सेल्स के गठन का प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने निर्देश दिए कि ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, तरल अपशिष्ट प्रबंधन, हैजार्डस वेस्ट, ई-वेस्ट तथा बायोमेडिकल वेस्ट प्रबंधन के लिए अलग-अलग सेल गठित किए जाएं। साथ ही, लोक शिकायत निवारण, अनुसंधान और विकास, पर्यावरणीय जन-जागरूकता, प्रकाशन, आईटी एवं आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भी विशेष यूनिट की स्थापना की जाए।मुख्यमंत्री ने उद्योगों से जुड़े अनापत्ति प्रमाण पत्र (सीटीओ/सीटीई) के आवेदन निस्तारण की प्रक्रिया को भी और अधिक समयबद्ध बनाने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि फिलहाल इनका निस्तारण 120 दिनों में होता है, जिसे घटाकर लाल श्रेणी के लिए 40 दिन, नारंगी के लिए 25 दिन और हरी श्रेणी के लिए 10 दिन किया जाना चाहिए। इसके लिए आवश्यक प्रणाली शीघ्र विकसित की जाए।प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में रिक्त पदों की शीघ्र भर्ती पर बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आईआईटी जैसे प्रमुख तकनीकी संस्थानों के योग्य युवाओं को आकर्षक पैकेज पर नियुक्त कर बोर्ड की कार्यक्षमता को बढ़ाया जाए। इसके लिए नियमानुसार प्रक्रिया अपनाई जाए।मुख्यमंत्री ने यह भी इंगित किया कि बोर्ड द्वारा अनापत्ति और सहमति शुल्क में वर्ष 2008 के बाद कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। उन्होंने निर्देश दिए कि इस विषय पर गंभीरता से विचार करते हुए यथोचित संशोधन का प्रस्ताव बोर्ड स्तर पर तैयार किया जाए।बैठक में वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारीगण, पर्यावरण विभाग के प्रतिनिधि एवं उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारीगण उपस्थित रहे।
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