(लखनऊ)लखनऊ में महर्षि वाल्मीकि जयंती पर संस्कृत संस्थान द्वारा व्याख्यान गोष्ठी व कवि सम्मेलन आयोजित

  • 07-Oct-25 12:00 AM

लखनऊ( आरएनएस ): 07 अक्टूबर, 2025उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान, लखनऊ में आज महर्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर वाल्मीकिरामायणानुगुणं सामाजिकसमरसताÓ विषय पर व्याख्यान गोष्ठी और संस्कृत कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण के साथ मुख्य अतिथियों का वाचिक स्वागत करके किया गया।सस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी श्री दिनेश कुमार मिश्र ने अपने उद्बोधन में महर्षि वाल्मीकि की महानता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि उन्हें आदिकवि इसलिए कहा जाता है क्योंकि उन्होंने संसार का पहला महाकाव्य रामायणÓ की रचना की। उन्होंने बताया कि रामायण केवल कथा नहीं, बल्कि जीवन का मार्गदर्शन है, जिसमें श्रीराम के आदर्श जीवन, मर्यादा, कर्तव्य और सत्य के मार्ग का गहन वर्णन मिलता है। महर्षि वाल्मीकि का जीवन प्रेरणा का स्रोत है, जो सिखाता है कि मनुष्य जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से महान बनता हैसंस्कृत कवि सम्मेलन में विभिन्न विद्वानों ने महर्षि वाल्मीकि की काव्य-कला और उनके आदर्शों पर प्रकाश डाला। प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र ने अपने काव्य पाठ में राम को विश्वपुरूष के रूप में प्रस्तुत किया और पाश्चात्य कथाओं से तुलना करते हुए रामायण की सार्वभौमिकता पर जोर दिया। प्रो. ओम प्रकाश पाण्डेय ने वाल्मीकि को प्रथम काव्य कलाधर के रूप में वर्णित करते हुए काव्य पाठ प्रस्तुत किया। डॉ. अरविन्द कुमार तिवारी ने रामायण में सामंजस्य और राम के उदार चरित्र पर चर्चा की।डॉ. शशिकान्त तिवारी श्शशिधर ने बताया कि जिस श्लोक के द्वारा व्याधा शापित होता है, वह संसार का पहला लौकिक पद्य है, और यही श्लोक वाल्मीकि रामायण की शुरुआत करता है। डॉ. हर्षित मिश्र ने कौंच क्षी के विलाप से उत्पन्न प्रेरणा और श्लोक निर्माण की प्रक्रिया साझा की। डॉ. सिंहासन पाण्डेय ने रामायण के शब्दों में छिपी सत्य शक्ति और उसके परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। डॉ. राजेन्द्र त्रिपाठी रसराजÓ ने महर्षि वाल्मीकि के आदर्शों को जीवन में अपनाने और समाज में अच्छाई फैलाने का संकल्प व्यक्त किया। डॉ. दीपक मिश्र ने महर्षि वाल्मीकि पर स्वरचित कविता जयति जयति रघुकुलवरराम प्रेयसि कथमं नागताÓ का पाठ प्रस्तुत किया।इस अवसर पर संस्थान के समस्त अधिकारी, कर्मचारी और श्रोता उपस्थित रहे। कार्यक्रम ने महर्षि वाल्मीकि के जीवन और आदर्शों को उजागर करते हुए समाज में समरसता, करुणा और सत्य के संदेश को आगे बढ़ाने का संदेश दिया।




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