(लखनऊ)विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस: जागरूकता का महत्व
- 21-Oct-24 12:00 AM
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लखनऊ 21 अक्टूबर (आरएनएस )। हर साल 21 अक्टूबर को विश्व आयोडीन अल्पता विकार निवारण दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का उद्देश्य लोगों को यह जानकारी देना है कि आयोडीन मानसिक विकास, थाइरॉयड के सही कार्य करने और शरीर के सम्पूर्ण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है।एसजीपीजीआई की डायटीशियन डा. शिल्पी के अनुसार, इस साल की थीम है थाइरॉयड सम्बन्धी बीमारियां गैर संचारी हैं। यह दुनिया में डायबिटीज के बाद दूसरा सबसे बड़ा एंडोक्राइन डिसऑर्डर है। थाइरॉयड सम्बन्धी समस्याओं के उपचार के लिए दवाएँ अक्सर जीवन भर लेनी पड़ती हैं, और यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में स्थानांतरित हो सकती हैं।आयोडीन शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व है। आयोडीन की कमी से घेंघा रोग, हाइपोथायरायडिस्म, गर्भपात, और गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क के विकास में रुकावट जैसी समस्याएँ होती हैं। इसके अलावा, यह बच्चों में बौनापन और गर्भ में बच्चे की मृत्यु जैसी समस्याओं का कारण बन सकती है। आयोडीन की कमी से बचाव का प्रभावशाली उपाय आयोडीनयुक्त नमक का सेवन करना है। इसके साथ ही चावल और आटे को फोर्टीफाइड करके भी आयोडीन की कमी को पूरा किया जा सकता है।आयोडीन से शरीर स्वस्थ और दिमाग चुस्त बनता है, जिससे कार्यक्षमता में बढ़ोतरी होती है। यह सूक्ष्म पोषक तत्व शरीर में नहीं बनता है, बल्कि हमें भोजन से ही मिलता है।थाइरॉयड हार्मोन का सही उत्पादन करने और गर्भाशय के विकास के लिए आयोडीन आवश्यक है। जिन महिलाओं में आयोडीन की कमी होती है, उनमें थायरॉयड की कार्यप्रणाली बाधित होती है, जिसका असर उनके प्रजनन स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चों का मानसिक विकास कमजोर होता है, ऊर्जा में कमी आती है, और जल्द थकान महसूस होती है।इस दिन के माध्यम से आयोडीन के महत्व को समझना और इसकी कमी से बचने के उपायों पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
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