(लखनऊ)हस्तशिल्प, संस्कृति और स्वावलंबन का उत्सव बना क्षेत्रीय सरस मेला
- 04-Apr-25 12:00 AM
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लखनऊ व अयोध्या में महिलाओं के आत्मनिर्भर भारत की झलक, लोकगीतों से सजेगी 5 अप्रैल की शामलखनऊ 4 अप्रैल (आरएनएस ) । ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के दिशा-निर्देशों के तहत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा आयोजित क्षेत्रीय सरस मेला इस वर्ष भी आत्मनिर्भरता, परंपरा और सांस्कृतिक विविधता का अनूठा संगम बन गया है। लखनऊ के विभूतिखंड, गोमती नगर स्थित उत्तराखंड भवन में यह मेला 8 अप्रैल 2025 तक चलेगा, जबकि अयोध्या धाम के रामकथा पार्क में मेला 5 अप्रैल तक आयोजित किया जा रहा है।प्रतिदिन पूर्वाह्न 11 बजे से रात्रि 10 बजे तक चल रहे इस मेले में विभिन्न राज्यों से आए स्वयं सहायता समूहों की महिलाएं न केवल अपने विशिष्ट उत्पादों की बिक्री कर रही हैं, बल्कि स्थानीय पहचान और परंपरागत कला को एक नए बाजार और मंच से जोड़ रही हैं।उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ के आँवला उत्पाद, गोरखपुर का टेराकोटा, कानपुर देहात व उन्नाव की पारंपरिक साडिय़ाँ और बागपत की प्रसिद्ध बेडशीट्स दर्शकों को खूब लुभा रही हैं। वहीं बिहार, उत्तराखंड, ओडिशा, केरल, महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल और असम जैसे राज्यों की महिलाओं द्वारा तैयार किए गए हस्तशिल्प, फूड प्रोडक्ट्स और हैंडीक्राफ्ट भी लोगों को खूब पसंद आ रहे हैं।मेले का उद्देश्य केवल खरीदारी नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक यात्रा को भी साकार करना है। हर शाम होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों में लोक संस्कृति की जीवंत प्रस्तुतियाँ देखने को मिल रही हैं। 5 अप्रैल को लोकगायिका सुश्री अनीता सिंह की लोकगीतों से सजी शाम दर्शकों के लिए विशेष आकर्षण होगी।यह मेला न केवल महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने की प्रेरक तस्वीर पेश करता है, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों की सांस्कृतिक और कलात्मक समृद्धि को एक मंच पर लाकर दर्शकों को एक रंगारंग अनुभव भी प्रदान कर रहा है। हस्तशिल्प प्रेमियों से लेकर भारतीय संस्कृति के दीवानों तक, हर किसी के लिए यह मेला एक जीवंत उत्सव का प्रतीक बन गया है।
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