(लखनऊ) राजेंद्र चौधरी ने इमरजेंसी मूवी देखी, आपातकाल पर दिया बयान
- 18-Jan-25 12:00 AM
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लखनऊ, 18 जनवरी (आरएनएस)। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी ने कल लखनऊ में समाजवादी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ इमरजेंसी पर बनी फिल्म देखी। इस फिल्म को देखने का उद्देश्य आपातकाल के दौरान नागरिक स्वतंत्रता और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए किए गए संघर्ष को किस रूप में दर्शाया गया है, यह समझना था। श्री चौधरी ने बताया कि सत्तर का दशक संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के हनन का दौर था, जब छात्रों और नौजवानों ने लोकतंत्र की बहाली के लिए संघर्ष किया। उन्होंने आज के समय की परिस्थितियों से इस संघर्ष को जोड़ा और कहा कि आज भी नागरिक अधिकारों को समाप्त करने के प्रयास जारी हैं।श्री चौधरी ने याद किया कि 1975 में देश में आपातकाल लागू होने के बाद संविधान द्वारा प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ था। विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया, अखबारों पर सेंसरशिप लागू की गई और चारों ओर दहशत का माहौल था। इस समय उन्होंने अपनी जान को जोखिम में डालते हुए अंडरग्राउंड पत्रिकाओं का संपादन किया, जिनमें प्रतिरोधÓ प्रमुख थी। वे बताते हैं कि एक बार जब वे और उनके सहयोगी प्रतिरोधÓ पत्रिका की प्रतियां लेकर राष्ट्रपति भवन चौराहे पर पहुंचे, तब प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का काफिला उधर से गुजरा था और पुलिस द्वारा चेकिंग न किए जाने के कारण वे बच गए।श्री चौधरी ने कहा कि आपातकाल के दौरान जेल में यातनाओं का सामना करना पड़ा था, लेकिन वे कभी भी लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटे। उन्होंने इस समय के संघर्ष को देश में आज की परिस्थितियों से भी जोड़ा, जिसमें लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करने और नागरिक अधिकारों पर हमलों की स्थिति उत्पन्न हो रही है।उन्होंने कहा कि वर्तमान में हम एक असंवैधानिक अघोषित आपातकाल के दौर से गुजर रहे हैं, जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों पर हमले हो रहे हैं। लोकतंत्र की रक्षा के लिए समाजवादी पार्टी हमेशा प्रतिबद्ध रही है और इसका इतिहास संघर्ष से भरा रहा है, विशेष रूप से अगस्त 1942 की क्रांति और आपातकाल के दौरान।फिल्म इमरजेंसीÓ पर श्री चौधरी ने कहा कि इसमें कुछ घटनाएं सत्यता से परे हैं और कुछ कथन जो इंदिरा गांधी के मुंह से कहे गए बताए गए हैं, वे उनके नहीं थे। उन्होंने यह भी कहा कि फिल्म का उद्देश्य सत्ता के अहंकार को चुनौती देना और यह बताना है कि जन आक्रोश के सामने सत्ता का अहंकार हमेशा पराजित होता है।इस अवसर पर उनके साथ समाजवादी पार्टी के अन्य नेता और कार्यकर्ता भी उपस्थित थे, जिनमें जूही सिंह, फखरूल हसन चांद, नवीन धवन बंटी, आशीष यादव सोनू, मधुकर त्रिवेदी, मणेन्द्र मिश्र मशाल और अन्य प्रमुख नेता शामिल थे।
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