(शिवपुरी)मासूम की मौत ने झकझोरा शहर: सीवर चेंबर बना काल, सिस्टम की लापरवाही ने छीनी एक बेटी की सांसें
- 15-Jun-25 12:00 AM
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शिवपुरी 15 जून (आरएनएस)। शनिवार की रात शिवपुरी शहर के पॉश कहे जाने वाले संतुष्टि अपार्टमेंट में जो हुआ, उसने पूरे शहर को शोक और गुस्से की आग में झोंक दिया। एक मासूम बच्ची की मौत ने सिर्फ एक परिवार को नहीं, बल्कि पूरे समाज को अंदर से झकझोर दिया। सवाल उठते हैं, जवाब कहीं नहीं—सिर्फ एक 15 साल की बच्ची की लाश है और उसके साथ गहरी खामोशी में डूबा प्रशासनिक तंत्र।यह हादसा नहीं, एक सुनियोजित हत्या है—उस सिस्टम की, जो सिर्फ वसूली करना जानता है, लेकिन जिम्मेदारी लेने से कतराता है।उत्सविका भदौरिया, एक प्यारी-सी बेटी, जिसकी आंखों में सपने थे, मुस्कुराहट में भविष्य का उजाला था, वो शनिवार रात एक सीवर चेंबर की गंदगी में समा गई। उसकी 8 साल की सहेली भव्या ने उसकी जान बचाने की मासूम कोशिश की, लेकिन सिस्टम की दलदली लापरवाही ने उसे निगल लिया।> *मां की चीखें और एक अधूरी उम्मीद*जैसे ही बच्ची सीवर में गिरी, मां भागती हुई मौके पर पहुंची। वह बेसुध होकर टैंक के किनारे बैठ गईं। रेस्क्यू ऑपरेशन के चार घंटे वह वहीं बैठी रहीं — आंखों में सिर्फ एक उम्मीद कि शायद बेटी जिंदा निकले। लेकिन रात 12:40 पर जब शव बाहर आया, सारी उम्मीदें दम तोड़ गईं। मां की चीखें रात के सन्नाटे को चीरती रहीं, पर वो आवाज किसी अफसर या जिम्मेदार तक नहीं पहुंची।> *पैसे वसूले गए, जिम्मेदारी नहीं निभाई गई*हर महीने मेंटेनेंस के नाम पर हर परिवार से ?1200 लिए जाते हैं। बदले में क्या मिला? टूटा ढक्कन, गंदा सीवर, और अब एक शव। अपार्टमेंट के रहवासियों ने बताया कि सीवर की खराब हालत की कई बार शिकायत की गई थी। वॉट्सएप ग्रुप में मैसेज किए गए, लेकिन न तो प्रबंधन ने सुना और न ही नगरपालिका ने।> *विकराल आक्रोश: सड़क पर शव, प्रशासन से टकराव*रविवार दोपहर जब बच्ची का शव सड़क पर एंबुलेंस में रखा गया, शहर की आत्मा चीख उठी। महिलाओं ने ग्वालियर बायपास पर चक्काजाम कर दिया। मांग की गई कि आरोपी अर्जुन दीवान और उसकी मां गीता दीवान को बुलाया जाए। उन्हें गैर-जमानती धाराओं में गिरफ्तार किया जाए। लोग सिर्फ न्याय नहीं मांग रहे थे, वे सिस्टम की चुप्पी को चीरना चाहते थे।> *पुलिस ने दर्ज किया केस, पर क्या यही काफी है?*कोतवाली थाना प्रभारी कृपाल सिंह राठौड़ ने प्रमोटर अर्जुन दीवान के खिलाफ लापरवाही का केस दर्ज किया है। लेकिन क्या सिर्फ एक एफआईआर काफी है? क्या इस सोसाइटी के प्रबंधन की बाकी परतें उजागर होंगी? क्या नगर पालिका और कॉलोनी मंजूरी देने वाले अधिकारियों की भी जवाबदेही तय होगी?> *सिंधिया का ट्वीट, जनता का गुस्सा*केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर दुख व्यक्त किया और सख्त कार्रवाई की बात कही। > *अंतिम सवाल: कब जागेगा सिस्टम?*उत्सविका की मौत एक चेतावनी है—उन चेम्बरों से नहीं, उन चेहरों से जो पद और पैसे में डूबे हैं, लेकिन मानवता से कट चुके हैं। कब तक हमारे बच्चे इसी गटर में दम तोड़ते रहेंगे? कब तक मां-बाप अपनी बेटियों को सिर्फ इसलिए खोते रहेंगे क्योंकि किसी ने ढक्कन बदलवाना जरूरी नहीं समझाÓ?शिवपुरी में आज हर आंख नम है, हर दिल में आक्रोश है। उत्सविका अब नहीं रही, लेकिन उसकी मौत व्यवस्था के उस ढांचे पर तमाचा है जो कागजों में आधुनिक और ज़मीनी हकीकत में जर्जर हो चुका है। इस बार अगर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई नहीं हुई, तो ये गटर फिर किसी मासूम को निगल लेगा — और तब शायद हम फिर सिर्फ अफसोस में सिर झुकाकर खड़े रह जाएंगे।> *क्या प्रशासन वाकई इस बार जागेगा, या फिर एक और बच्ची के मरने तक इंतजार करेगा?*
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