(शिवपुरी) शिवपुरी में बुआ की रवानगी, भतीजे की एंट्री के संकेत
- 08-Oct-23 12:00 AM
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शिवपुरी,08 अक्टूबर (आरएनएस)। ग्वालियर-चंबल संभाग की राजनीति लगातार करवटें ले रही है। अब कैबिनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया के स्वास्थ्यगत कारणों से चुनाव न लडऩे की घोषण के बाद शिवपुरी की सियासत गरमा गई है। उने भतीजे केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के इस सीट से चुनाव लडऩे की चर्चाएं तेज हो गई हैं। यशोधरा राजे सिंधिया समर्थक किसी भी तरह उन्हें मनाने में जुटे थे, लेकिन यशोधरा ने बिल्कुल स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी स्थिति में वे चुनाव नहीं लड़ेंगी। उनकी विदाई तय हो गई तो दूसरी ओर भतीजे ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक् एकाएक क्षेत्र में सक्रिय हो गए हैं। शिवपुरी विधानसभा पर भाजपा, कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशी भी विधायक रहे, लेकिन जीत महल के आशीर्वाछ से ही मिली। वर्ष 1980 से 1990 तक यहां कांग्रेस के गणेशराम गौतम विधायक रहे जो माधवराव सिंधिया के कट्टर समर्थक थे। इसके बाद सुशील बहादुदर अष्ठाना निर्दलीय विधायक बने। वे राजमाता विजयाराजे सिंधिया के समर्थक थे। वर्ष 1993 में सीट महल समर्थित देवेंंद्र जैन के कब्जे में गई। इसके बाद 1998 में यशोधरा रजो सिंधिया की एंट्री हुई और वह लगातार दो चुनाव जीतीं। उपचुनाव हुआ तो ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी पूरी ताकत झोंकर वीरेंद्र रघुवंशी को जीत दिलाई। वर्ष 2008 में यशोधरा राजे सिंधिया ने माखनलाल राठौर को प्रत्याशी बनवाया और जीत भी दिलाई। वर्ष 2013 में फिर से ये सीट पर लौटीं और लगातार जीती। अनिल पुरोहित
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