(श्रावस्ती)विकास से कोसों दूर बॉर्डर से सटा ककरदरी गांव

  • 02-Jul-25 12:00 AM

श्रावस्ती 2 जुलाई (आरएनएस )। जिले में बॉर्डर से सटा हुआ राप्ती नदी के किनारे एक ऐसा गांव है जहां जो विकास से कोसों दूर है। गांव में पहुंचने के लिए न तो सड़क है और इलाज के लिए सरकारी अस्पताल भी नही है, इलाज के अभाव में लोगों की मौत जो जाती है, गांव में झोलाछाप डॉक्टरों के चंगुल में फंसकर ग्रामीणों को अपना इलाज कराना पड़ता है।मामला श्रावस्ती जिले के मुख्यालय भिनगा से लगभग 40 और ब्लॉक मुख्यालय से लगभग 25 किलोमीटर दूर स्थित राप्ती नदी के किनारे भारत नेपाल सीमा से सटा हुआ ककरदरी गांव का है जहाँ विकास के अभाव में गांव बदहाली का आँसू बहा रहा है। गांव में पहुंचने के लिए न तो सड़क है और न ही लोगों को इलाज कराने के लिए अस्पताल है। गांव में किसी की तबियत खराब होने पर एम्बुलेंस गांव तक नही पहुंचती है। गांव से लगभग 5 किलोमीटर दूर लक्ष्मनपुर कोठी पर एम्बुलेंस रुकती है जहां परिजन अपने मरीज को निजी साधन से लेकर पहुंचते है उसके बाद उनको इलाज के लिए ले जाया जाता है। गांव में अस्पताल न होने पर समय से मरीजों को इलाज नही मिल पाता है जिससे मरीजों की जान तक चली जाती है। गांव में जाने के लिए 5 किलोमीटर जंगल की पगडंडियों से होकर गुजरना पड़ता है। राप्ती बैराज से जंगल होते हुए ककरदरी गांव तक खड़ंजा लगा हुआ है जो अब टूट चुका है इस गांव में लगभग 4 हजार की आबादी है। गांव में सड़के टूटी हुई है बरसात के समय में गांव की सड़कों पर जलभराव की स्थित हो जाती है जिससे लोगों को आने जाने में भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। गांव की साफ सफाई व्यवस्था बदहाल है।यह गांव राप्ती नदी के किनारे बसा हुआ है गांव से लगभग डेढ़ सौ मीटर सिर्फ राप्ती नदी दूर है। बाढ़ के समय राप्ती नदी तबाही लेकर आती है और गांव में पानी घुसने से कई घर जलमग्न हो जाते है। जिससे लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। नाव के सहारे लोगों को नदी के उसपार अपने खेतों का देखभाल करने जाना पड़ता है। एसएसबी के जवान भी बॉर्डर पर पूरी मुस्तैदी के साथ पहरा कर रहे है, बॉर्डर पर आने जाने वाले लोगों की जांच कर रहे है। संदिग्ध गतिविधियों पर कड़ी नजर बनाए हुए है।




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